एडीटोरियलट्रिगर न्यूज
License Cancellation एक अभूतपूर्व ऐतिहासिक कदम
इतना गंभीर कृृत्य भी आईएमए के अध्यक्ष को नाकाफी दिखाई दे रहा है। जिन्दे को मरा बता रहा है। डॉक्टर है कि हत्यारा। ये तो एक प्रकार का कत्ल ही हुआ। बल्कि उसने तो कत्ल कर ही दिया जब एक जिन्दा बच्चे को मरा बताकर पॉलीथीन में पैक करके परिजनों को दे दिया।
यहॉं तो मामला जिन्दा बच्चे को मरा घोषित करके उसे पन्नी में पैक करके फूंक देने के लिए देने का है। मान लीजिए कि यदी वह बच्चा गोद में ना होकर अलग सेपरेशन में रख दिया जाता, तब तो ना उसकी हलचल पता लगती और ना ही कोई जान पाता कि बच्चा जिन्दा है।
इन अस्पतालों को लाइसेंस मरीजों को जिन्दा और चन्गा करने के लिए दिए गये हैं, अथवा मारने के लिए? कोई डेन्गू के इलाज पर ही सोलह लाख का बिल ठोंके दे रहा है। तो कोई किडनी ही बेंचे ले रहा है। कोई पॉंच रूपये के इजैक्शन की एमआरपी ही कम्पनी से बढ़वाकर मरीज को लूट रहा है।
राज्यों से जुड़ी हर खबर और देश-दुनिया की ताजा खबरें पढ़ने के लिए नार्थ इंडिया स्टेट्समैन से जुड़े। साथ ही लेटेस्ट हिन्दी खबर से जुड़ी जानकारी के लिये हमारा ऐप को डाउनलोड करें।