पंचतंत्र

ढोल की पोल,पार्ट-3

गतांक से आगे पार्ट—3

दमनक संजीवक के पास पहुंचा तो देखना क्या है कि यह तो बैल है। कोई सियार ऐसी हालत में जितना खुाश हो सकता है उतना खुश् होते हुए और ऐसी खुशी में जितना झूम सकता है उतना झूमते हूए उसने अपने आप से कहा, अरे, मजा आ गया।

अब तो इसके साथ मेल और विरोध से पिंगलक को अपनी मुट्ठी में किया जा सकता है।

यह तो मानी हुई बात है कि राजा तभी मंत्रियों को पूछता है जब वह किसी न किसी दुख या विपत्ति में फंस जाता है। वह उनकी कुलीनता या मित्रता के कारण उनकी बात नहीं मानता है।

इसलिए यदि राजा आफत में पड़ा रहे तो मंत्रियों की बन आती है, इसलिए ही मंत्री चाहते हैं कि राजा किसी-न-किसी चक्कर में फंसा रहे और वे निश्चिंत हो कर राज्य को लूटते और मनमानी करते रहें।

जैसे निरोग आदमी चिकित्सक की कद्र नहीं करता, उसी तरह जिस राजा पर कोई आपदा आई ही न हो वह अपने सचिवों को भी नहीं पूछता।

इसलिए वैद्य चाहता है कि बीमारी फैली रहे और मंत्री चाहते हैं कि राजा किसी न किसी आपदा में पड़ा रहे, जिससे उनकी पूछ बनी रहे। ऐसा सोच कर वह पिंगलक की ओर चल पड़ा।

पिंगलक ने उसे अकेले आते देखा तो उसे समझते देर ने लगी कि इससे अभी कोई खतरा नहीं है। वह जहां छिप कर बैठा था वहां से हट कर फिर अपनी पुरानी जगह पर आ बैठा।

उसके पास पहुंच कर दमनक ने पिंगलक को नमस्कार किया और फिर चुपचाप बैठ गया।
दमनक के पास आने पर पिंगलक ने पूछा, ‘‘क्या आप ने उस प्राणी को देखा ?’’

दमनक बोला, ‘‘आपकी कृपा से देख तो लिया।’’

पिंगलक को विश्वास ही नहीं आया। वह सोचने लगा, उसके सामने पड़ने के बाद यह जीता जागता वापस कैसे आ गया। चौंक कर बोला, ‘‘सचमुच ?’’

दमनक बोला, ‘‘महराज के सामने क्या मैं झूठ बोल सकता हूं ? आप तो जानते ही हैं कि जो व्यक्ति देवता या राजा के सामने झूठ बोलता है वह कितना भी महान क्यों न हो उसका नाश हो कर ही रहता है।

और फिर मनु ने तो कहा ही है कि राजा अकेले ही सभी देवताओं के बराबर होता है, इसलिए राजा को सदा देवता ही समझना चाहिए।

मनु महराज ने भी आधी ही बात कही। राजा सभी देवताओं के ही तुल्य नहीं है। एक मामले में तो वह उनसे भी आगे है। देवताओं की पूजा या उपेक्षा का फल तो अगले जन्म में मिलता है पर राजा को प्रसन्न या रुष्ट करने का फल तो इसी जन्म में मिल जाता है।’’

पिंगलक बोला, ‘‘अच्छा, आप कह रहे हैं तो आपने सचमुच देखा ही होगा। महान लोग दोनों दुखियारों पर कोप नहीं करते इसलिए उसने भी आप के प्राण नहीं लिए होंगे।

वृक्षों को उखाड़ फेंकने वाला प्रभंजन नीचे की ओर झुके हुए तिनकों को नहीं उखाड़ता। महान लोगों का यह स्वभाव होता है कि वे दोनों को नहीं सताते है और अपनी बराबरी वालों के साथ ही अपना पराक्रम दिखाते हैं।

मदमस्त हाथी अपने कपोल से बहते मदजल पर उड़ते रहने वाले भंवरो के पदाद्यात के बाद भी उन पर क्रुद्ध हो कर प्रहार नहीं करता है।’’

दमनक ने कहा, ‘‘महराज आप जो कहते हैं वह सब ठीक ही होगा, उसके सामने मेरी क्या गिनती। फिर भी एक बात है, यदि आप कहें तो मैं उसे आपका सेवक बना कर आपके सामने पेश् कर सकता हूं।’’

पिंगलक हैरान, ‘‘क्या आप सचमुच ऐसा कर सकते हैं ?’’

दमनक बोला, ‘‘समझदार आदमी के लिए असंभव तो कुछ होता ही नहीं। आप ने तो सुना ही होगा कि जो काम चतुरंगिणी सेना के वश का नहीं है वह भी बुद्धि बल से सिद्ध हो सकता है।’’

पिंगलक ने कहा, ‘‘यदि आप ने यह काम कर दिखाया तो समझिए आप इसी समय से मेरे मंत्री हो गए और आज से जिसे जो पुरस्कार या दंड़ देना होगा, वह सब आप ही देंगे।’’

अब दमनक झट संजीवक के पास पंहुचा और डांट कर बोला, ‘‘दुष्ट बैल, इधर आ। तुझे मेरे स्वामी पिंगलक बुला रहे है। तेरी आंख पर चर्बी चढ़ गई है जो निडर होकर बार बार हुंकारता फिर रहा है?’’

संजीवक ने पूछा, ‘‘श्रीमन, यह पिंगलक कौन है ?’’

…. 4 ….

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