
वन्दे मातरम
A-Revolutionary-राजेंद्रनाथ लाहिड़ी
काकोरी में ट्रेन लूटे जाने के बाद पूरे भारत में क्रांतिकारियों की धर-पकड़ शुरु हो गई। इस मामले में लाहिड़ी के खिलाफ भी अदालत में मामला दर्ज किया गया। इसकी पहली सुनवाई चार जनवरी,1926 को लखनऊ के रिंग थियेटर में शुरु की गई। इसे अब जनरल पोस्ट ऑफिस के नाम से जाना जाता है।
छह अप्रैल,1927 को आईसीएस न्यायिक प्रक्रिया के तहत हेमिल्टन के विशेष न्यायालय ने फैसला सुनाया। फैसले में हेमिल्टन ने लाहिड़ी को काकोरी कांड के नायकों में एक माना। उन्होंने कलकत्ता कोलकाता में बम बनाने की तकनीक सीखी। वह डकैती में रामप्रसाद के सहयोगी थे।
इस कांड में लाहिड़ी का बड़ा हाथ था। इसलिए धारा 121-ए के तहत उन्हें कालापानी उम्रकैद की सजा होनी चाहिए। वह इस कांड को अंजाम देने वाले दो मुख्य क्रांतिकारियों में से एक हैं तथा वह अहमद अली की मौत के जिम्मेदार भी। इसलिए वह सजा-ए-मौत के हकदार भी हैं। ये दोनों सजाएं एक साथ शुरु की जाएंगी।
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