वन्दे मातरम
A-Revolutionary-राजेंद्रनाथ लाहिड़ी
इस मामले के संबंध में प्रीवी काउंसिल में अपील दायर की गई थी, लेकिन इसे निरस्त कर फांसी की सजा को बरकरार रखा गया। 14 दिसंबर को लाहिड़ी ने अपने एक मित्र को पत्र में लिखा था-कल मुझे खबर मिली थी कि मेरी याचिका को नकार दिया गया है, तुमने मेरी जिंदगी को बचाने की सारी कोशिशें कीं, लेकिन लगता है देश को मेरी जिंदगी की जरूरत है।
मौत क्या है? यह सिर्फ एक नई जिंदगी ही तो है। फिर मौत से क्यों डरा जाए। इसे सुप्रभात की तरह प्राकृतिक मानना चाहिए। मैं सोचता हूं और मुझे उम्मीद है कि मेरी मौत बेकार नहीं जाएगी। लाहिड़ी के भाई फांसी के एक दिन पहले उनसे मिलने गए थे।
लाहिड़ी ने उन्हें अपनी अंतिम इच्छा के बारे में कहा-मेरा अंतिम संस्कार वैदिक रीति-रिवाजों से होना चाहिए। जब मैं फांसी के लिए ले जाया जा रहा होऊगां तब मैं वंदेमातरम् कहूंगा-जिसकी गूंज जेल की दीवारों के बाहर तक सुनाई दे। जब जाकर शांति से मर सकूंगा।
राज्यों से जुड़ी हर खबर और देश-दुनिया की ताजा खबरें पढ़ने के लिए नार्थ इंडिया स्टेट्समैन से जुड़े। साथ ही लेटेस्ट हिन्दी खबर से जुड़ी जानकारी के लिये हमारा ऐप को डाउनलोड करें।