वन्दे मातरम
A-Revolutionary-राजेंद्रनाथ लाहिड़ी
यदि उन्हें इस मामले में कोई अपील करनी है तो यह एक हफ्ते के अंदर करना होगा। सुनवाई के बाद चारों क्रांतिकारियों को अलग-अलग जेल में फांसी दे दी गई।19 दिसंबर,1927 को रामप्रसाद बिस्मिल को गोरखपुर जेल में, रोशन सिंह को इलाहाबाद और अशफाक उल्लाह को फैजाबाद जेल में फांसी दी गई।
तय समय के मुताबिक लाहिड़ी को भी 19 दिसंबर को ही फांसी दी जानी थी लेकिन क्रांतिकारियों द्वारा जेल से छुड़ा लिए जाने के डर से उन्हें दो दिन पहले यानी 17 दिसंबर को गोंडा जेल में फांसी दे दी गई।
यह कोई ख्याली डर नहीं था। हकीकत में क्रांतिकारियों ने लाहिड़ी को जेल से निकाल लेने की योजना बना ली थी। योजना को अंजाम देने के लिए चंद्रशेखर आजाद और मन्मथनाथ गुप्त गोंड़ा पहुंच गए थे। इस मसले पर लाल बिहारी टंडन के घर एक बैठक भी की गई थी।
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