तो उनके फर्जी वीडियो के बहाने ईवीएम के खिलाफ मोर्चा खोलने वालों ने चोरों वाली चुप्पी साध ली। ऐसी चुप्पी को पुलिस की थर्ड डिग्री के इस्तेमाल से ही बाहर निकाला जा सकता है। शबाना के इस झूठ की पोल खुलने के बाद भी सोशल मीडिया और प्रिन्ट मीडिया में इस तरह की खबरें आती रहीं कि ईवीएम ने भाजपा को लाभ पहुंचाया।
ऐसी साजिश भरी खबरों को सम्बल प्रदान किया अखिलेश यादव, मायावती और राजबब्बर सरीखे नेताओं के उन बयानों ने जिनके जरिये यह कहने की कोशिश की जा रही थी कि निकाय चुनावों में जहां ईवीएम से मतदान हुआ वहां तो भाजपा ने बढ़त हासिल की, लेकिन जहां बैलट पेपर से मतदान हुआ वहां उसका प्रदर्शन फीका रहा।
चूंकि ऐसे बयान संवैधानिक पदों को धारण कर चुके अखिलेश यादव और मायावती ने दिए थे, इसलिए मीडिया ने भी बगैर कोई छानबीन अथवा पुष्टि किए ही उन्हें प्रमुखता के साथ प्रचारित और प्रसारित किेया।
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