डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2023
भारतीय राज्यसभा ने बुधवार को डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2023 को पारित कर दिया, जिससे भारत एशिया का पहला प्रमुख देश बन गया, जिसमें व्यापक गोपनीयता कानून है।
बिल को एक संक्षिप्त चर्चा के बाद एक voice vote से पारित किया गया था।
यह बिल व्यक्तियों के व्यक्तिगत डेटा, जिसमें उनका नाम, पता, फोन नंबर, ईमेल आईडी और वित्तीय जानकारी शामिल है, के संरक्षण के लिए प्रदान करता है।
यह व्यक्तियों को उनके व्यक्तिगत डेटा के संबंध में अधिकार भी प्रदान करता है, जैसे कि अपने डेटा तक पहुंचने, उसे सही करने और हटाने का अधिकार।
बिल भी एक डेटा संरक्षण प्राधिकरण (DPA) बनाता है जो कानून को लागू करेगा।
DPA को डेटा उल्लंघन की शिकायतों की जांच करने, उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगाने और डेटा फ़िडुशियर (व्यक्तियों के डेटा को इकट्ठा करने और संसाधित करने वाले संगठन) को आदेश जारी करने का अधिकार होगा।
डेटा संरक्षण बिल का पारित होना भारत के लिए अपने नागरिकों की गोपनीयता की रक्षा करने के मामले में एक बड़ा कदम है।
यह बिल भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था के विकास को बढ़ावा देने में मदद करने के लिए भी expected है, क्योंकि यह व्यवसायों को व्यक्तिगत डेटा को सुरक्षित और सुरक्षित तरीके से इकट्ठा और उपयोग करने का confidence देगा।
यह बिल निजता के अधिकारों के लिए लंबे समय से अभियान चला रहे वकीलों द्वारा स्वागत किया गया है।
हालांकि, कुछ आलोचकों ने बिल के कुछ प्रावधानों पर चिंता व्यक्त की है, जैसे कि सरकार की बिना वारंट के व्यक्तिगत डेटा तक पहुंचने की शक्ति।
overall, डेटा संरक्षण बिल भारत के लिए एक सकारात्मक विकास है।
यह बिल व्यक्तियों की गोपनीयता की रक्षा करने और डिजिटल अर्थव्यवस्था के विकास को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
यह अभी भी देखने के लिए बाकी है कि बिल का अभ्यास में कैसे कार्यान्वित किया जाएगा, लेकिन यह सही दिशा में एक कदम है।
यहां डेटा संरक्षण बिल के कुछ प्रमुख बिंदु दिए गए हैं:
- बिल व्यक्तिगत डेटा को किसी भी जानकारी के रूप में परिभाषित करता है जिसका उपयोग किसी व्यक्ति की पहचान करने के लिए सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से किया जा सकता है।
- बिल व्यक्तियों को अपने व्यक्तिगत डेटा तक पहुंचने, इसे सही करने और हटाने का अधिकार देता है।
- बिल डेटा फ़िडुशियर (व्यक्तियों के डेटा को इकट्ठा करने और संसाधित करने वाले संगठन) को व्यक्तियों से उनकी सहमति प्राप्त करने से पहले अपना डेटा एकत्र करने की आवश्यकता है।
- बिल डेटा फ़िडुशियर को व्यक्तिगत डेटा को बिना व्यक्ति की सहमति के बेचने या साझा करने से रोकता है।
- बिल एक डेटा संरक्षण प्राधिकरण (DPA) बनाता है जो कानून को लागू करेगा।
- DPA को डेटा उल्लंघन की शिकायतों की जांच करने, उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगाने और डेटा फ़िडुशियर को आदेश जारी करने का अधिकार है।
डेटा संरक्षण बिल एक जटिल विधान है, और यह अभी भी कहना जल्दबाजी होगी कि इसे अभ्यास में कैसे लागू किया जाएगा।
हालांकि, बिल भारत के लिए अपनी नागरिकों की गोपनीयता की रक्षा करने के मामले में एक बड़ा कदम है।