जिसका कुछ परिणाम हुआ या नहीं हुआ ये तो आने वाला समय ही बतायेगा। लेकिन जनता के बीच यह संदेश जरूरी भेजा गया कि हो न हो, ईवीएम के जरिए भाजपा ने चुनाव आयोग से दुरभि सन्धि करके अपना भला किया है।
इसके बाद सोशल मीडिया और विशेष रूप से ट्विटर पर यह कहने की होड़ मच गई कि जब तक ईवीएम है तब तक भाजपा को चिंता करने की जरूरत नहीं है। इसी के साथ ही भारतीय जनता पार्टी और चुनाव आयोग के बीच दुरभिसन्धि को प्रतिष्ठापित किया जाने लगा।
इसके विस्तार में यहां तक कहा जाने लगा कि चुनाव आयोग धृतराष्ट्र की भूमिका में आ गया है और दुर्योधन रूपी अपने भाजपा बेटे को ही हस्तिनापुररूपी भारत को भाजपा को सौंपने में लगा है। तीन दिसंबर को ट्विटर पर ‘ईवीएम है तो बीजेपी है’ को जमकर ट्रेंड किया गया।
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