साइबर संवाद

Drugs का तेजी से फैलता काला कारोबार

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में नशीली दवाओं के दुरुपयोग के शिकार लोगों की संख्या तकरीबन 34 लाख है। यह उत्तर-पश्चिम और ड्रग्स आसानी से उपलब्ध हैं, जहां उत्तर पूर्व, पर ‘स्वर्ण त्रिभुज’ पर, दो कुख्यात दवा मार्गों और Drugs अफीम उत्पादक क्षेत्रों के बीच अर्थात् ‘गोल्डन क्रीसेंट’ है क्योंकि भारत अत्यधिक संवेदनशील है। किसी भी तरह का नशा हो, उसकी लत लग ही जाती है। ऐसा सोचने वाले हमेशा गलत साबित होते हैं जो पहले तो अपनी मर्जी से कोई नशीला पदार्थ लेना शुरु करते हैं, लेकिन बाद में वो नशा उन्हें नहीं छोड़ता….

जेपी सिंह

देशभर में Drugs मादक पदार्थों के बढते जाल को लेकर उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूछा है कि उसने नशीले पदार्थों के दुष्प्रभाव पर जागरुकता फैलाने और सप्लाई को रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं? कोर्ट ने एएसजी मनिंदर सिंह को इस संबंध में कार्रवाई को लेकर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। दरअसल उच्चतम न्यायालय नशीले पदार्थों की खेती, इस्तेमाल और सप्लाई पर विस्तृत पालिसी बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के दखल पर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

तमिलनाडू के नागरिक केती रेड्डी जगदीश्वर रेड्डी ने याचिका में नशीले पदार्थों के दुष्प्रभाव को लेकर जागरुकता फैलाने, जांच सिस्टम को मजबूत कर सप्लाई करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने, ड्रग्स पैडलर की संपत्ति जब्त करने और टीवी व फिल्मों में मादक पदार्थों के दिखाने, बढावा देने और महिमामंडन करने पर रोक लगाने की मांग की है। इस जनहित याचिका में महाराष्ट्र, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, असम, तेलंगाना, गोआ, राजस्थान और बिहार समेत 18 पक्षकारों को प्रतिवादी बनाया गया है।

याचिकाकर्ता के वकील डी महेश बाबू ने कहा कि 14 दिसंबर 2016 में बचपन बचाओ आंदोलन बनाम भारत सरकार मामले उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाया था लेकिन सरकार इस पर अमल करने में नाकाम रही है। इसलिए कोर्ट को फैसला लागू कराने के मामले में दखल देने की जरूरत है। इस केस में उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को आदेश दिया था कि वो छह महीने के भीतर राष्ट्रीय सर्वे पूरा करे और राष्ट्रीय डेटा बेस बनाए। तुरंत विचार करने के योग्य मामले को लेकर चार महीने के भीतर विस्तृत राष्ट्रीय योजना तैयार करे और इसे लागू करे। एनइपी के तहत स्कूलों में पाठ्यक्रम में इसे लागू कराएं।

याचिकाकर्ता ने कहा कि जुलाई 2016 में संसद के मानसून सत्र के दौरान रखे गए आंकडे के मुताबिक देश में रोजाना नशीले पदार्थों या शराब की वजह से दस लोग खुदकुशी कर लेते हैं। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आकडे के मुताबिक महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, केरल और तमिलनाडू में नशीले पदार्थों के चलते सबसे ज्यादा खुदकुशी होती है। 2014 में कुल 3647 ऐसे मामले हुए जिनमे से अकेले महाराष्ट्र में 1372 खुदकुशी के मामले हुए जबकि तमिलनाडू में 552 और केरल में 475 केस हुए। पंजाब में 38 ऐसे केस सामने आए।

गौरतलब है कि मानसिक स्थिति को बदल देनेवाले रसायन, जो किसी को नींद या नशे की हालत में ला दे, उन्हें नारकॉटिक्स या ड्रग्स कहा जाता है। मॉर्फिन, कोडेन, मेथाडोन, फेंटाइनाइल आदि इस कैटिगरी में आते हैं। नारकॉटिक्स पाउडर, टैब्लेट और इंजेक्शन के रूप में आते हैं। ये दिमाग और आसपास के टिशू को उत्तेजित करते हैं। डॉक्टर कुछ नारकॉटिक्स का इस्तेमाल किसी मरीज को दर्द से राहत दिलाने के लिए करते हैं। लेकिन कुछ लोग इसे मजे के लिए इस्तेमाल करते हैं, जो लत का रूप ले लेता है। नशा करने के लिए लोग आमतौर पर शुरुआत में कफ सिरप और भांग आदि का इस्तेमाल करते हैं और धीरे-धीरे चरस, गांजा, अफीम, ब्राउन शुगर आदि लेने लगते हैं।

वास्तव में कोई भी चीज जिसकी शरीर को जरूरत महसूस होती है और जिससे शरीर को तकलीफ महसूस हो, उसे नशा कहते हैं। पारंपरिक नशे में अफीम, भुक्की, शराब, सुल्फा, सिंथेटिक ड्रग्स में स्मैक, हेरोइन, आइस, मेडिकल नशे में मोमोटिल, कैरीसोमा, पारवनस्पास, कफ सीरपस, अन कॉमन नशे में आयोडेक्स, छिपकली की पूंछ तथा स्नफिरस नशे में लिक्विड व्हाइट फ्लूड, पेट्रोल सूंघना, पंक्चर सेल्यूशन को सूंघना शामिल है। पंजाब में 30-45 प्रतिशत एडिक्ट, स्टूडेंट लाइफ के दौरान 75 प्रतिशत स्टूडेंट्स किसी न किसी तरह का नशे इस्तेमाल करते हैं यदि 20 प्रतिशत आदी रहते हैं तो बेहद खतरनाक भविष्य है।

आमतौर पर समाज में यह धारणा है कि नशा करना मर्दों की फितरत है। समाज में पुरुषों को ही नशा करने का अधिकार है। अगर महिलाएं इस तरह की करतूत करती हैं तो उन्हें कुल विरोधी या कुल का नाश करने वाला माना जाता है। लेकिन बदलते समाज के साथ-साथ लोगों की सोच बदली है। आज महिलाएं पुरुषों के साथ कदमताल कर रही हैं। वह किसी भी क्षेत्र में अपने आप को कम नहीं आंकतीं। अगर पुरुष धूम्रपान करता है तो वहां भी वह अपने आप को बीस साबित कर रही हैं।

एक नए शोध से पता चला है कि आज की तारीख में धूम्रपान करने वाली महिलाओं की मौत के आसार बढ़ रहे हैं। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसन में छपे शोध के मुताबिक धूम्रपान के कारण अब पुरुषों की ही तरह महिलाएं भी बड़ी संख्या में मर रही हैं। सिगरेट का अधिक सेवन करने से वर्ष 2000 से 2010 के बीच धूम्रपान करने वाली महिलाओं में लंग कैंसर से मौत की आशंका सामान्य लोगों के मुकाबले 25 गुना हो गई थी। शोध में अमरीका की 20 लाख से ज्यादा महिलाओं से इकट्ठा किए डेटा पर नजर डाली गई है।

भारत में नशीली दवाओं और अपराध का जोर बढ़ता जा रहा है। सरकार की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार बीते तीन सालों ( 2011-13) में भारत में नशीली दवाओं के कारोबार में पांच गुना ( 455 फीसदी ) वृद्धि दर्ज की गई है।इन तीन सालो में भारत में105,173 टन अवैध दवाएं जब्त की गई हैं वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट 2014 के मुताबिक लगभग पूरी दुनिया के 18 फीसदी आबादी के साथ, जो15 से 64 आयु वर्ग के बीच आते हैं, भारत दक्षिण पूर्व एशिया और दक्षिण दृ पश्चिम एशिया दोनों में नशीली दवा व्यापार का एक बड़ा बाजार बन गया है।


Drugs और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा भारतीय राष्ट्रीय सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक करीब 10.7 मिलियन लोग, जितनी स्विडन देश की जनसंख्या है, नशीली दवाओं का सेवन करते हैं। लगभग 8.7 मिलियन भांग खाने के आदि हैं जबकि 2 मिलियन लोग अफीमयुक्त दवाओं का सेवन करते हैं। मिजोरम, पंजाब और मणिपुर राज्यों के लोग सबसे अधिक नशीली दवाओं का इस्तेमाल करते देखे गए हैं। इसका एक कारण इन राज्यों का अंतरराष्ट्रीय सीमओं और अंतरराष्ट्रीय दवा की तस्करी क्षेत्रों, जैसे कि ”स्वर्ण त्रिभुज” (म्यांमार, थाईलैंड और लाओस) और ”गोल्डन क्रीसेंट” (ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान) के निकट होना हो सकता है।


भारत के जिन राज्यों में नशीली दवाओं को जब्त किया गया हैं उन राज्यों में मिजोरम पहले स्थान पर है। मिजोरम में पिछले चार सालों में करीब 48,209 टन नशीली दवाइयां जब्त की गई हैं। मिजोरमके बाद दूसरा स्थान पंजाब का है। पिछले चार सालों में पंजाब में करीब 39,064 टन नशीली दवाईयां बरामद की गई हैं।जब्त की गई नशीली दवाइयों में एम्फैटेमिन , भांग के पौधे , कोकीन, इफेड्रिन , गांजा , चरस , हेरोइन, केटामाइन, लिसर्जिक एसिड, डेथाएलामाइड, एसिटिक एनहाइड्राइड, मिथायलेनडायक्सी, और अफीम जैसी खतरनाक दवाइयां शामिल हैं।

पिछले चार सालों में दवा तस्करी के लगभग 64,737 मामले दर्ज हुए हैं। इन चार सालों में पंजाब में सबसे अधिक, करीब 21,549 दवा तस्करी के मामलेदर्ज किए गए हैं।साल 2013 में पंजाब में दर्ज आधे से अधिक मामले स्वापक औषधि और मनरू प्रभावी पदार्थ अधिनियम (एनडीपीएसएक्ट)के तहत दर्ज किए गए हैं। पंजाब के ग्रामीण इलाकों में 67 फीसदी लोग नीशीली दवाइयों या मादक पदार्थों का सेवन करती है जबकि पंजाब के 70 फीसदी युवा आबादी नशा करने की आदि है। यह आकंड़े सरकार द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के दौरान सामने आयेहै।मणिपुर में करीब 45,000-50,000 लोग नशे की चपेट में हैं। इनमें से आधे से अधिक लोग इंजेक्शन के जरिए नशे का सेवन करते हैं।

अध्ययन के दौरान पता चला है कि नशा करने वाले लोगों में से 12 फीसदी लोगों की उम्र 15 वर्ष से नीचे होती है जबकि 31 फीसदी लोग 16 से 25 वर्ष की आयु के बीच के होते हैं और 56 फीसदी 25 से 35 वर्ष के बीच के होते हैं। पिछले चार सालों में ड्रग तस्करी मामले में कम से कम 64,302 लोगो को गिरफ्तार किया गया है। इनमें से कुछ विदेशी भी हैं। बगिरफ्तार हुए लोगों में सबसे अधिक संख्या नेपालियों की है।

साल 2011 से 2014 के बीच गिरफ्तार हुए लोगों में करीब 266 लोग नेपाल के हैं जबकि 210 नाइजेरिया के और 96 बर्मा के हैं। नशीली दवाओं की तस्करी सबसे अधिक भारत-बंग्लादेश सीमा पर देखा गया है। साल 2011 से 2014 के बीच भारत-बंग्लादेश सीमा पर करीब 1,607 मामले दर्ज किए गए हैं जबकि भारत-नेपाल सीमा पर 799 मामले, भारत- म्यांमार सीमा पर 317 और भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर 120 मामले दर्ज किए गए हैं।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।

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