साइबर संवाद
घोरकलजुग
क्या आप सोच सकते है की खंबे पर खड़ा व्यक्ति अपनी जान हथेली पर रखकर बापू की अँतिम यात्रा क्यो देखने आया था ऐसा गाँधी में क्या था जो इस आदमी को इतना जूनूनी बना गया था की वो सब कुछ भूलकर गाँधी की पार्थिव देह को एक टक देख रहा था ….
अगर मेरे सवालों के जवाब आपके पास “ना” में हो तो एक बात समझ लीजिए इस देश मे करोड़ो कालीचरण भी पैदा हो जाए तब भी इस आदमी के अंदर बापू के प्रति एक प्रतिशत भी आस्था कम नही होगी क्योंकि वो गाँधी नाम के व्यक्ति से नही उस विचार से प्रेम करता था जो इस देश की नसों में रक्त बनकर बहता है
और क्या आप जानते है …यह आदमी कौन है.. यह है भारत का आम आदमी जो इस देश से बेहिसाब प्रेम करता है
सौजन्य से :-
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