साइबर संवाद
मिशन: प्रवासी हटाओ, काशी बचाओ
2014 से ही शंकराचार्यों को ये बात पता थी कि मोदी का यूपी में दाखिल होना यूपी के पवित्रता को प्रभावित करने जैसा है।
सबसे पहले गंगा की सफाई का मुद्दा लेकर मोदी बनारस आए।
नतीजन गंगा और ज्यादा मैली हो गयी। साधु संत विरोध में आमरण अनशन करते करते मर गए पर व्यापार के आगे पवित्रता कैसी? गंगा सफाई को लेकर उमा भारती के बयान और उनके मोदी विरोध को कौन नहीं देखा है।
आंकड़े बताते है कि बनारस के सभी सीवर का कचरा आज भी गंगा में प्रवाहित हो रहा है। अब तक मात्र 102 एमएलडी सीवर कचरा ही उपचार हो पा रहा गंगा का जबकि सीवर वेस्टेज इससे हजारों गुना ज्यादा है। नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत 13500 करोड़ का घोटाला सामने आया है सनद रहे।
2019 में शंकराचार्य ने मोदी के विरोध में इस बार कैंडिडेट उतारा जिसका पर्चा रद्द करवा दिया गया। पुलवामा के सैनिकों के नाम पे लड़े जा रहे इस चुनाव में खुद तेज बहादुर यादव नामक सेना के सिपाही ने चुनाव लड़ने की चेष्ठा की मगर उसका भी पर्चा रद्द करवा दिया गया।
आज भी पवित्र संत समाज मे मोदी फूटे आंख भी नहीं सोहा रहे है। मगर उनके विरोध को पवित्रता के दायरे से बाहर करते हुए उन्हें गद्दार और बागी साबित किया जा रहा है, जबकि वो यूपी के धार्मिक पवित्रता के व्यवसायीकरण के खिलाफ है। सनातन के असली संरक्षक हैं।
सभी को पता है कि राम मंदिर निर्माण के किए गोलियां और लाठियां किसने खाई और अकेला क्रेडिट कौन खा गया।
बनारस की प्राचीनतम गलियां तोड़ दी गयी विश्वनाथ कॉरिडोर बनाने में। सदियों पुराने प्राचीन मंदिर और उनकी मूर्तियां तोड़ कर अवशिष्ट बना दिए गए क्योंकि कॉरिडोर के नाम पर बाबा विश्वनाथ की आस्था का व्यापार करना था।
एमपी में महाकाल कॉरिडोर के लिए भी यही व्यवसायीकरण हुआ था। मोदी के जेहन में जरा भी सनातन होता तो वह अपनी माँ के मरने के बाद सनातन की रिवाजों के अनुसार अपने केश माँ गंगा को भेंट करते। मगर व्यापारी को सनातन से क्या ही मतलब?
अयोध्या में भी इस व्यापारी ने लाखों की जमीनों को करोड़ो में ठिकाने लगाया। अमिताभ बच्चन से मार्केटिंग करवाया। ये सिर्फ मैंने ही नहीं सबने देखा है।
इस बार 2024 का चुनाव है जहाँ एक बार फिर से सनातनी ये पुकारते नज़र आ रहे है कि काशी से प्रवासी को दूर करो। वरना ये इसकी पवित्रता बारम्बार भंग करेगा। अजय राय जी तीसरी बार मोदी को चुनौती दे रहे है।
इस बार मजबूती से पूरा इंडिया गठबन्धन उनके साथ खड़ा है। संत समाज और शंकराचार्य उनके साथ खड़े हैं। एक आस, एक उम्मीद के साथ कि इस प्रवासी को उत्तरप्रदेश की सरजमी से खदेड़ कर, लगातार अपमानित हो रहे शंकराचार्यो, सनातनियो और उनकी आस्था को इस व्यापारी से संरक्षित करेंगे।
प्वाइंट टू बी नोटेड! व्यापारी को गद्दी देंगे तो व्यापार ही करेगा। नेता चुनिए। अपना आदमी चुनिए। लोकल चुनिए।
प्रवासी हटाओ, काशी बचाओ।
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