
मुख्य सचिव ने आई.सी. सेन्टर फाॅर गवर्नेंस, नई दिल्ली द्वारा लखनऊ में आयोजित 5 दिवसीय ‘कर्मचारी से कर्मयोगी’ के प्रशिक्षण कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि किया प्रतिभाग
लखनऊ: मुख्य सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्र ने अलीगंज स्थित उत्तर प्रदेश प्रशासन एवं प्रबंधन अकादमी में आई.सी. सेन्टर फाॅर गवर्नेंस, नई दिल्ली द्वारा आयोजित 5 दिवसीय ‘कर्मचारी से कर्मयोगी’ के प्रशिक्षण कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया।
अपने संबोधन में मुख्य सचिव ने कहा कि उत्तर प्रदेश शासन विकसित भारत के लिये कटिबद्ध है। यह विकास तभी सम्भव है जब प्रत्येक अधिकारी के अंदर कर्तव्यबोध हो तथा कर्म के प्रति समर्पण हो। भारत प्रगति के पथ पर अग्रसर है, इसमें सिविल सेवकों की अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने अधिकारियों को कार्य और जीवन के बीच संतुलन बनाने के लिये सुझाव दिया।
उन्होंने कहा कि हर एक सरकारी कर्मचारी कर्मयोगी है। सिविल सेवा के अधिकारियों को निष्पक्ष, गैर-पक्षपाती और उचित निर्णय सुनिश्चित करने की क्षमता होनी चाहिए। एक सिविल सेवक के लिए कर्तव्य सर्वोपरि है। सार्वजनिक हित की सेवा के लिए निष्पक्ष दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है।
उन्होंने कहा कि समानता के सिद्धांतों को कायम रखते हुए पक्षपात या भेदभाव के बिना कार्य करना होगा। आम नागरिकों को उनकी पृष्ठभूमि या संबद्धता की परवाह किए बिना समान अवसर देकर और उचित व्यवहार करके उनमें शासन के प्रति विश्वास जगाना होगा।
सिविल सेवा के अधिकारियों की एक अहम जिम्मेदारी होती है कि सरकारी योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक पात्र लोगों को मिले, उनके जीवन में किस प्रकार से बदलाव लाया जाये, इस दिशा में गंभीरतापूर्वक कार्य करना होगा।
उन्होंने कहा कि समय अब बदल रहा है, पब्लिक सर्वेंट के लिए आने वाले समय में बड़ी चुनौतियां आएंगी। आज के दौर में जन आकांक्षाएं तेजी से बढ़ रही है। सिविल सेवकों को अपने कार्यों, निर्णयों और सार्वजनिक संसाधनों के उपयोग की जवाबदेही खुद तय करनी होगी।
उन्होंने कहा कि सिविल सेवकों को समाज के हाशिये पर पड़े, वंचित और कमजोर वर्गों के प्रति उत्तरदायी होना चाहिए।