निर्वाचन आयोग निष्पक्ष है
अब आप ही फैसला करिए, देश का निर्वाचन आयोग क्या निष्पक्ष है?——
तमिलनाडु-आबादी-6.97 करोड़,विधानसभा सीटें-235
केरल-आबादी-3.48 करोड़,विधानसभा-सीटें-140
पुड्डुचेरी-आबादी-2.42 लाख,विधानसभा सीटें-30
कुल तीन राज्यों तमिलनाडु,केरल,पुड्डुचेरी की 10.47 करोड़ आबादी की कुल-405 विधानसभा सीटों पर एक दिन में चुनाव सम्पन्न होंगे। जबकि 9.03 करोड़ आबादी वाले पश्चिम बंगाल की -294 विधानसभा सीटों के लिए सात चरण में चुनाव सम्पन्न होंगे? और 3.09 करोड़ की आबादी वाले असम के 140 विधानसभा सीटों के लिए तीन चरण में चुनाव सम्पन्न होंगे?
इतनी विषमता है फिर भी लोग कहते हैं कि निर्वाचन आयोग की स्वतंत्रता पर सवाल न खड़े किए जाएं?वास्तविकता यह है कि लोकतंत्र के हत्यारों ने इस संवैधानिक संस्था की हत्या करके उसे एक रबर स्टाम्प बना दिया है और सारा फैसला वो लोकतंत्र का हत्यारा करता है,जिस पर निर्वाचन आयोग रबर स्टाम्प की तरह चस्पा हो जाता है?
अब जमूरे के पास असम और पश्चिम बंगाल के गांव-गांव में मंच लगाकर नृत्य, नौटंकी, रोना, फेंकना, झूंठ और गप्प का प्रचार-प्रसार करने से लेकर धांधली कराने तक के लिए खुद की सुविधानुसार समय ही समय है?
लेकिन इसमें दोष निर्वाचन आयोग के चुनाव आयुक्तों का कतई नहीं है, क्योंकि उनको अपना परिवार, देश से उपर रखना होता है, इसीलिए, क्योंकि वो आईएएस में आये ही इसलिए हैं। अपना काम बनता, भाड़ में जाये जनता। जब वो अपनी रीढ़ नहीं बचा पा रहे हैं तो देश की कहां से बचायेंगे।