इतिहास लिखा जा चुका है नेहरू
तुम्हारे घमंड, मूर्खता और लापरवाही की वजह से पूरे देश में मौत बरसाने का अध्याय दर्ज हो चुका है। इसमे लिखा है, कि पैसा, लोग, संसाधन, क्षमता…. सब कुछ होने के बावजूद, तुम्हारे हठ, पक्षपात और कूढ़मगजी ने पूरा देश विशाल आपाधापी में बदल दिया है।
लिखा है कि जब तैयारी का वक्त था, नेहरू, उसके मंत्री, सांसद चेले और चारण मिलकर देसी इलाज, पापड़, योग और तन्त्र-मंत्र की अफवाहें फैला रहे थे। लिखा है कि वे बड़े-बड़े मजमे लगाकर लोगों को भरमा रहे थे।
लिखा है कि चेतावनी के बावजूद बीमारी दूर-दराज तक फैलने दी। लिखा है कैसे न जांच थी, न एम्बुलेंस, न बेड, न ऑक्सीजन। कैसे मौतें दर्ज न कर संख्या घटाई गयी। असल संख्याओं के कयास तो हमेशा लगेंगे। तुम्हारे सरकारी रिकार्ड का भरोसा किसी को न होगा।
यह भी लिखा है कि 3 दिन में 20 करोड़ पोलियो वेक्सिनेशन कर चुका देश, तुम्हारी सरपरस्ती में तीन माह में, तीन करोड़ भी टीके न लगा सका। लिखा है कि लोग वैक्सीन के लिये तरसते रहे, पर नेहरू झूठ पर झूठ बोलता रहा।
लिखा है कि तुम्हारे दौर में सांसों की भी कालाबाजारी थी। लिखा है कि लाशों को जलने के लिए लाइन लगानी पड़ी थीं। लिखा है की जब कोर्ट चीख रही थी, जब बेटे-बेटी-पिता-भाई मामूली चीजों के लिए बदहवास भाग रहे थे, जब राज्यों के मुख्यमंत्री मदद मांग रहे थे। तब नेहरू मुनाफा बना रहा था।
वो ऑक्सीजन और वैक्सीन विदेशों में बेच रहा था। वो छिपकर झूठे हलफनामे लिख रहा था। वो दमन के तरीके ईजाद कर रहा था। खबरें दबाने, मुंह बंद करने, मदद करने वालों पर मुकदमे थोपने में व्यस्त था।
भारत के सबसे बड़े मानव सृजित नरसंहार का विवरण जिन पन्नों पर है, वहां नेहरू की खिलखिलाती तस्वीर लगाई जा चुकी है। यह बेशर्म हंसी इस पीढ़ी के जेहन पर जम चुकी है। ये कत्लेआम दुनिया की निगाहों में आ चुका है। यह इतिहास, तो बन चुका है।
अब नेहरूवादी इसे ढकने, छिपाने, बदलने की चाहे जितनी कोशिश कर लें। चुनावी जीतों की माला पहने नेहरू को, इतिहास के सिंहद्वार पर पराजित, बदनाम, बेइज्जत, और रक्त से सने हाथ लेकर पहुचना है।
लाडले नायक का ये अंत अफसोसनाक है।
मगर तुम्हारा ये इतिहास लिखा जा चुका है नेहरू।