ऐसा बताया गया है कि बचपन से ही उनकी दिलचस्पी आर्ट और डिजाइन में थी और वो यूरोप के अलग-अलग म्यूज़ियम में आया जाया करते थे। इसके बाद भारत में आकर बसने और डायमंड ट्रेडिंग बिज़नेस के सभी पहलुओं की ट्रेनिंग लेने के बाद साल 1999 में उन्होंने फ़ायरस्टार की नींव रखी।
ये एक डायमंड सोर्सिंग और ट्रेडिंग कंपनी है। साल 2008 में नीरव के एक करीबी दोस्त ने उन्हें ईयररिंग बनाने को कहा। इसे बनाने के लिए सही हीरे चुनने और डिजाइन करने में उन्होंने कई महीने लगाए और तभी उन्हें अहसास हुआ कि वो ज्वेलरी को लेकर जुनून और कला दोनों रखते हैं। तभी उन्होंने ब्रांड बनाने की ओर कदम उठाया।
साल 2010 में वो क्रिस्टी और सॉदबी के कैटालॉग पर जगह बनाने वाले पहले भारतीय ज्वेलर बने। साल 2013 में वो फ़ोर्ब्स लिस्ट ऑफ़ इंडियन बिलिनेयर में आए और तब से अपनी जगह बनाए हुए हैं।
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