क्या सुन रहे हो ये पुकार!
संविधान की आत्मा ! लोकतंत्र की आत्मा जेल में बंद है !
जेएनयू से सत्ता का जो खतरनाक खेल शुरू हुआ था, आज पूरे देश में फैल चुका है।
आज कन्हैया बाहर है, लेकिन अनगिनत लोग देशद्रोह के झूठे अभियोगों में जेल में बंद हैं। 83 वर्ष के स्टोन स्वामी से लेकर 22 वर्ष की दिशा तक। पत्रकार! लेखक! सामाजिक कार्यकर्ता! जेल में बंद हैं! विरोध की हर आवाज़ को कुचला जा रहा है!
मासूम बच्चियों को देशद्रोही बताते हुए भी उनके हाथ काँपते नहीं! क़ानून! संविधान! लोकतंत्र! सब सत्ता के हाथ की कठपुतलियाँ हैं!
क्या सुन रहे हो ये पुकार!
“मेरी आत्मा जेल में बेटे के साथ क़ैद है”
भक्तो!
क्या सुन रहे हो
जेल में बंद कन्हैया की
माँ की पुकार!
मीना देवी की पुकार!
माँ भारती की पुकार!
क्या
वो मीना देवी!
वो
तीन हज़ार रुपये पाने वाली
आँगनबाड़ी सेविका!
क्या
वो नहीं है माँ भारती!
वो!
जो ईंट-खपरैल के घर में रहती है!
वो
जो एक मज़दूर पति की
पत्नी है!
क्या
जानते हो
क्या होती है आँगनबाड़ी सेविका!
नहीं, तुम नहीं जानते
तो सुनो!
वो सिर्फ़
अपने बच्चे की ही नहीं
वो तो हर भावी माँ की माँ
और
हर गर्भस्थ बच्चे की भी होती है
माँ!
क्या
सुन पा रहे हो
उस
मीना देवी की पुकार …
मेरा बेटा…
कभी भी, कभी भी
नहीं हो सकता
देशद्रोही
लो सुनो
क्या कहता है
उसका लकवाग्रस्त मज़दूर पिता…
अँग्रेजों ने
भगतसिंह को राष्ट्रद्रोही बताकर
लटकाया था
फाँसी के फंदे में
और आज तुमने
आज़ाद भारत में राष्ट्रद्रोही बताकर
मेरे बेटे को
जेल में कर दिया है बंद…
पर
मुझे गर्व है
ज़िंदगी भर मेहनत करके
भले नहीं जोड़ पाया एक भी ईंट
पर
मेरा बेटा भगतसिंह की राह पर है
यही मेरी कमाई है!
है
अगर यह पाप!
तो
यही मेरा पाप है
सुनो भक्तों
कन्हैया और उसके साथी क्या माँग रहे हैं…
हमें चाहिये आज़ादी
भुखमरी से आज़ादी
मनुवाद से आज़ादी
दंगाइयों से आज़ादी
सामन्तवाद से आज़ादी
आतंकवाद से आज़ादी
पूँजीवाद से आज़ादी
क्या सुन रहे हो ये आवाजें!
चारों दिशाओं से उठ रही हैं
ये आवाज़ें!
ये
इंसाफ़ की आवाज़ें हैं!
हक़ की आवाज़ें हैं!
तुम्हें जलाकर ख़ाक कर देंगी
ये आवाज़ें
मत करो! मत करो!
मरने को मजबूर
कन्हैयाओं और
रोहित वेमुलाओं को
इस तरह!
सुनो मीना देवी की पुकार!
सुनो राधिका देवी की पुकार!
सुनो देश की पुकार!