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तिब्बत की स्वतंत्रता भारत के उत्तरी सीमांत की सुरक्षा के लिए जरुरी
By: डा0 समन्वय नंद
भारत का तिब्बत के प्रति नैतिक दायित्व भी है। भारत से गये भगवान बुद्ध के वचनों को तिब्बतीयों ने ग्रहण किया। भगवान बुद्ध के वचनों से वे इतनी मात्रा में प्रभावित हुए कि उनकी सैनिक शक्ति ही नहीं रहीं। परम पावन दलाई लामा बार बार कहते हैं कि भारत हमारा गुरु देश है तथा तिब्बत भारत का चेला है। जब शिष्य तिब्बत संकट की इस घडी में है तो गुरु भारत की जिम्मेदारी है कि वह शिष्य की रक्षा करे।
भारत व तिब्बत के बीच संबंध अनादि-अनंत काल से हैं। भारत व तिब्बत की संस्कृति में भिन्नता नहीं है। दोनों का उदगम स्थल एक ही है। भगवान शंकर को तिब्बत में वांगचुक कहा जाता है। तिब्बत में प्रत्येक 10 लडकों के नामों में से एक नाम वांगचुक है। जिन्हें हमें शक्ति, तारा व दुर्गा के नाम से भारत में पुकारते हैं। तिब्बत में उन्हें डोलमा कहा जाता है। प्रति 10 तिब्बती लडकियों में से एक का नाम डोलमा है।
आदि योगी शंकर का निवास स्थान कैलास पर्वत है जो कि तिब्बत में है। उस पर चीन ने कब्जा किया हुआ है। कैलास पर्वत भारतीयों के लिए जितना पवित्र है तिब्बतियों के लिए भी उतना ही पावन है। भारत के लिए इससे बड़े दुर्भाग्य की बात क्या हो सकती है कि भगवान शंकर का निवास स्थान कैलास पर चीन का कब्जा है।
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