साइबर संवाद

वैक्सीन के अलावा कोई भी दवाई कोरोना में कारगर नहीं

प्लाज़्मा थेरेपी फेल हो चुकी है, यह निम्न से निम्न मामलों में भी कोई काम नहीं कर रही है। रेमडीसीवीर इंजेक्शन भी फेल है, और उसका भी चवन्नी भर लाभ नज़र नहीं आ रहा है। ऊपर से इंजेक्शन की उपलब्धता भी शून्य है।

पहले तो उपलब्धता नहीं है ऊपर से लाभ भी कुछ नहीं है। टोसलि बोसली नाम के महंगे से महंगे इंजेक्शन भी रत्तीभर काम नहीं आ रहे हैं। उल्टा जिस मरीज को यह इंजेक्शन दे रहे हैं उसके मर जाने की ही सूचना मिलती है। क्योंकि यह इंजेक्शन अंतिम समय में ही लगाया जाता है, जब मरीज यूँ भी मरणासन्न हो जाता है।

मलेरिया की दवाई भी इस दफा नहीं दी जा रही है, वरना वह भी कोई ढंग का काम नहीं करती और उल्टे नुकसान ही सामने आते हैं। फेबिपिरवीर भी कारगर साबित नहीं हुई। थोड़े बहुत हल्के संक्रमण के मरीज इस दवा ने ठीक कर दिए पर अधिकांश को तो संक्रमण बढ़ा ही है। इसलिए इस दवा को भी फेल ही माना जाना चाहिए।

स्टेरॉइड से थोड़ी सी आशा बंधी थी पर उसके भी खतरनाक परिणाम सामने आ रहे हैं। और यह ड्रग म्यूकोमैक्रोसिस जैसे गंभीर रोग पैदा कर रही है। कुछ वैज्ञानिक एड्स की दवा को इसमें उपयोग करने की कोशिश कर रहे हैं। इस पर अनुसंधान चल रहे हैं। पहले के परिणाम देखकर यही लगता है कि एड्स की दवा भी इसमें फ्लॉप हो जाने की संभावना है।

इन सब बातों से यह साबित होता है कि तुक्केबाजी में दी गई कोई भी दवा इस वायरस पर ख़ाक भी कारगर साबित नहीं हुई है, उल्टा इन दवाओं ने विपरीत प्रभाव ही दिया है। इस वायरस में, यदि कोई चीज़ कारगर साबित हुई है, तो वह है ऐंटीबॉडी। अब भले ऐसी ऐंटीबॉडी वैक्सीन से मिली हो या नेचुरल ऐंटीबॉडी हो।

इस वायरस पर कारगर साबित हुई है, हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता। रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाली चीज़ों ने इस वायरस को रोका है। भॉप ने इस वायरस को रोका है। योगा और एक्सरसाइज ने इस वायरस को रोका है। फिजियोथेरेपी ने इस वायरस को रोका है। ऑक्सीजन थेरेपी इसमें कारगर साबित हुई है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता फलों ने बढ़ाई है, ज्यूस ने बढ़ाई है, चिकन और पनीर ने बढ़ाई है। यह इस वायरस पर कारगर है।।

मैं ऐसा मानता हूं अब तक मेडिकल इस बीमारी पर कोई भी कारगर दवाई पैदा नहीं कर पाया है और जो दवाई तुक्केबाजी में दी है तो वह खतरनाक साबित हुई है।

इस विश्लेषण से यह समझ आता है कि इस वायरस पर

वैक्सीन-
ब्लड थिनर्स-
ऑक्सीजन-
हल्दी का दूध-
कुनकुने पानी में निम्बू-
फल-
ज्यूस-
पानी-
भॉप-
योगा-
फिज़िकल एक्टिविटी-
नॉनवेज-
हरी सब्जियां-
फिजियोथेरेपी-
पेरासिटामोल-

यह सब बेहद सफल साबित हुई हैं।

और तुक्के में दी गई सारी दवाई औंधे मुंह गिरी हैं। भले ही वह फेबिपिरवीर हो, एंटीबायोटिक हो, स्टेरॉइड हो, रेमडीसीवीर हो, टोसलिजुमाब हो या प्लाज़्मा थेरेपी हो। इन सबने बहुत घातक परिणाम दिए हैं। यह इलाज ही मर्ज़ बनकर सामने आ गया।

मैं पेशे से वकील हूँ और आर्ट्स-कॉमर्स का स्टूडेंट था पर दुनिया के विज्ञान के स्टूडेंट्स को इस लेख के विरुद्ध चुनौती देता हूँ। यह मेरे अनुभव पर लिखा गया है। इस पर मैंने अपने तर्क रखे।
रजनीश ने लिखा है- ज्ञान वही है जो तुमने अनुभव किया है। बाकी सब तो शास्त्रों से रटा है। तुम वही बोलते हो, जो शास्त्र बोलते हैं। तुम तो रंटत तोते हो।

By Courtesy: Shadab Saleem at Jan Vichar Sanvad Group’s Wall

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