साइबर संवाद
वाराणसी की गंगा !
**देखो राजा नंगा है*
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कब्र खोदती जहाँ बेटियाँ
लाशें ढोती गंगा है !
कौन कहेगा आज शहर में
देखो राजा नंगा है !
दवा,बेड और रेमडेसिवर
सब दल्ले के पाले में,
कफन बेचने का धंधा भी
चलता रहा उजाले में।
अस्पताल में चीरहरण है
श्मशानों में पंगा है,
कौन कहेगा आज शहर में
देखो राजा नंगा है !
बालू ढोते एंबुलेंस हैं
ईंट उठाते स्ट्रेचर,
कचरे की गाड़ी में मुर्दे
छोड़ रहे हैं मुर्दाघर !
राष्ट्रद्रोह किसका है जाने,
किसके सिर पर फंदा है,
कौन कहेगा आज शहर में
देखो राजा नंगा है !
कई गुल्लकें टूटीं ,कितनी
एफडी गई उम्मीद में
आ जाएंगे दिन अच्छे
दीवाली तक या ईद में !
किसे पता किस बंद तिजोरी
पीएम केयर्स का चंदा है,
कौन कहेगा आज शहर में
देखो राजा नंगा है !
सेंट्रल विस्टा पर निसार
सिंहासन ये बतलाए तो,
इन्द्रधनुष क्या मुल्क में अब भी
पहले सा सतरंगा है !
@ डा० शांति यादव
मधेपुरा (बिहार)
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