एनालिसिस
न्याय तो Judiciary में भी ढ़ूंढे नहीं दिख रहा
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से चार जजों का सार्वजनिक रूप से सवाल करना सभी को उलझन में डाल गया। लेकिन इस मामले में सरकार ने बीच में ना पडकर सही किया। कोई दखलंदाजी नहीं की और न्यायाधीशों को खुद ही मामला सुलझाने के लिए उनके ऊपर ही छोड़ दिया।
जाहिर है चार जजों द्वारा की जाने वाली प्रेस कांफ्रेंस से वर्तमान से पूर्व में रहे मुख्य न्यायाधीशों को ‘झटका’ लगा। उनकी चेतना हिल गई। मुख्य न्यायाधीश आरoएमo लोढ़ा ने प्रतिक्रिया में यह सवाल किया कि ‘ऐसी उबलती हुई परिस्थिति दो महीने तक लंबित कैसे रही? Judiciary के लिए मनन करने की बात है।
सर्वोच्च न्यायालय जैसे संस्थान (Judiciary) के मुखिया रह चुके व्यक्ति के लिए जो हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण और दुख देने वाला है। मुख्य न्यायाधीश को जजों के साथ बातचीत करनी चाहिए थी और मामला सुलझाना चाहिए था।
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