एनालिसिस
न्याय तो Judiciary में भी ढ़ूंढे नहीं दिख रहा
जस्टिस खन्ना ने आपातकाल के समय यह अच्छी तरह जानते हुए भी सच बोला था कि उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने अपने चार साथियों से मतभेद जाहिर किया और फैसला दिया कि मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जा सकता।
उनकी जगह किसी और को पदोन्नत कर दिया गया और इसके विरोध में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। जस्टिस दीपक मिश्र इस साल अक्टूबर में रिटायर हो रहे हैं। उनके बाद सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बनने के लिए जस्टिस रंजन गोगोई का नंबर आता है।
उनके साथ भी वही होने की उम्मीद की जानी चाहिए जो सालों पहले जस्टिस खन्ना के साथ हुआ था। लेकिन जस्टिस खन्ना के फैसले ने भारत के लोगों को भरोसा दिया कि सच को कायम रखने वाले जज भी इसी हिन्दुस्तान में हैंं।
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