एनालिसिस
न्याय तो Judiciary में भी ढ़ूंढे नहीं दिख रहा
इससे न केवल जजों का भरोसा कम हुआ, बल्कि इसके नतीजे के रूप में संकट जैसी स्थिति भी पैदा हो गई। जजों में आपसी मतभेद कोई नया नहीं है। पहले भी इसके उदाहरण हैं कि खास मुद्दों पर उनकी आपस में लड़ाई हुई है] मतभेद हुए हैं।
सत्तर और अस्सी के दशक में जस्टिस वाईoवीo चंद्रचूड़ और उनके उत्तराधिकारी जस्टिस पीoएनo भगवती और नब्बे के दशक में जस्टिस एoएमo अहमदी तथा जस्टिस कुलदीप सिंह के बीच टकराव को ‘विद्रोह’ नहीं, बल्कि अनुशासनहीनता माना गया था।
जो भी मतभेद हों, कार्यरत जजों की ओर से प्रेस कांफ्रेंस करने से संस्थान के सच्चेपन और सुप्रीम कोर्ट की नैतिक ताकत मजबूत हुई है। भारत के मुख्य न्यायाधीश को लिखे गए पत्र में चार जजों ने उचित ही उनसे आग्रह किया है कि वह सुधार के कदम उठाएं ताकि जज इसी तरह के अन्य न्यायिक फैसलों के बारे में उन्हें जानकारी दे सकें, जिनसे मुख्य न्यायाधीश को निपटना है।
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