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योगी ने पहले सौ दिनों में बेहतरीन कामकाज की नई मिसाल की मशाल जला दी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता का ग्राफ दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। उनके निर्णयों और कार्यशैली की देश ही नहीं विदेश तक में चर्चा हो रही है। महाराज के दूसरे कार्यकाल में उनके तेवर, पुराने तेवरों से अलग हैं।

महाराज की सरकार बिना किसी भय और पक्षपात के निरन्तर गति से आगे बढ़ रही है। वैसे तो किसी भी सरकार के कामकाज की समीक्षा करने के लिए कम से कम 6 महीने का समय का मापदण्ड होना जरूरी समझा जाता है लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी सरकार के 100 दिन पूरे होने के उपलक्ष्य में ही अपना रिपोर्ट कार्ड जारी कर दिया।

यह रिपोर्ट कार्ड विपक्ष को भले ही अच्छा ना लगा हो लेकिन योगी के समर्थक उन्हें सौ में से सौ नम्बर दे रहे हैं। योगी सरकार का 100 दिन का रिपोर्ट कार्ड इसलिए ज्यादा मायने रखता है क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शपथ ग्रहण के साथ ही अपनी सरकार के 100 दिनों के लिए विकास का लक्ष्य भी निर्धारित कर दिया था।

बहरहाल, एक तरफ योगी जी विकास के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहे थे तो दूसरी तरफ इन 100 दिनों में उनके सामने कई चुनौतियां और चुनाव भी आए। लोकसभा के उपचुनाव और विधान परिषद के चुनाव हुए तो बीजेपी नेत्री नूपुर शर्मा के विवादित बयान के बाद कुछ लोगों ने प्रदेश का अमन चैन बिगाड़ने की काफी कोशिश की।

लोकसभा के उपचुनाव में योगी ने रामपुर-आजमगढ़ की लोकसभा सीटें बीजेपी की झोली में डालीं। यह कारनामा कोई छोटा नहीं है। विधान परिषद चुनाव में भी बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया। योगी के 100 दिन के कार्यकाल में ही बीजेपी नेत्री नूपुर के विवादित बयान के विरोध में कानपुर, प्रयागराज में हिंसा हुई। वहीं अन्य जिलों में भी माहौल गरमाया गया। योगी ने दंगाइयों के मंसूबों पर पानी फेरने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी।

दंगाइयों के खिलाफ बुलडोजर की भी कार्रवाई की गई। इससे पहले धार्मिक स्थलों से शांतिपूर्वक लाउडस्पीकर हटाने का भी कार्य किया गया। योगी से पहले की सरकारें कोर्ट के बार-बार आदेश के बाद भी यह काम नहीं कर पाई थीं। इसी तरह से कुछ खास मौकों पर सड़क पर नमाज पढ़ने की आदत पर भी लगाम लगाई गई है।

दूसरी बार जब योगी मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने पूरे दमखम के साथ दिखाया कि उनका कोई विकल्प अभी उत्तर प्रदेश में नहीं है।
कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए कड़े फैसले लेने से वे हिचक नहीं रहे हैं। 2017 में जब योगी ने पहली बार मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली थी तो उनके पास प्रशासनिक अनुभव की काफी कमी थी।

इसी वजह से शुरुआत के एक दो साल तक काफी हद तक उनके फैसलों में प्रशासनिक अधिकारियों का दखल दिखता रहा। अब वे पके-पकाए नेता बन चुके हैं। नौकरशाही उनको अपने इशारे पर नहीं नचा पा रही है। बात विकास की करें तो योगी ने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के साथ ही सभी मंत्रियों को 100 दिनों की कार्ययोजना का खाका खींच कर दे दिया था।

जिस पर काफी काम भी हुआ। यह और बात है कि अभी यह कार्य पूरी तरह से जमीन पर दिखाई नहीं दे रहे हैं। इसी के साथ योगी कानून व्यवस्था को लेकर बनी बुलडोजर बाबा की छवि को बरकरार रखने में कामयाब रहे। दंगों और अन्य मामलों पर रोक के लिए भी कड़े कदम उठाए हैं। सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों पर नियुक्तियों की प्रक्रिया को शुरू कराया गया है। हर परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी के दायरे में लाने की योजना के लिए सर्वे शुरू कराया गया है।

इसके अलावा चुनावी वादों के तहत टैबलेट और स्मार्टफोन वितरण की प्रक्रिया शुरू की गई है। सीएम योगी ने क्षेत्र की समस्याओं से सरकार के सीधे जुड़ने को लेकर तमाम मंत्रियों को क्षेत्र में जाकर रहने और वहां पर बात करने का जिम्मा सौंपा है। बांग्लादेश से विस्थापित 63 हिंदू परिवारों के पुनर्वास के लिए कानपुर देहात में भूमि के पट्टे का आवंटन किया गया है। दंगाइयों पर बुलडोजर वाला एक्शन लिया गया।

दूसरी बार जब योगी मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने पूरे दमखम के साथ दिखाया कि उनका कोई विकल्प अभी उत्तर प्रदेश में नहीं है। कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए कड़े फैसले लेने से वे हिचक नहीं रहे हैं। 2017 में जब योगी ने पहली बार मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली थी तो उनके पास प्रशासनिक अनुभव की काफी कमी थी। इसी वजह से शुरुआत के एक दो साल तक काफी हद तक उनके फैसलों में प्रशासनिक अधिकारियों का दखल दिखता रहा था। अब वे पके-पकाए नेता बन चुके हैं।

नौकरशाही उनको अपने इशारे पर नहीं नचा पा रही है। बात विकास की करें तो योगी ने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के साथ ही सभी मंत्रियों को 100 दिनों की कार्ययोजना का खाका खींच कर दे दिया था। जिस पर काफी काम भी हुआ। यह और बात है कि अभी यह कार्य पूरी तरह से जमीन पर दिखाई नहीं दे रहे हैं। इसी के साथ योगी कानून व्यवस्था को लेकर बनी बुलडोजर बाबा की छवि को बरकरार रखने में कामयाब रहे।

दंगों और अन्य मामलों पर रोक के लिए भी कड़े कदम उठाए हैं। सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों पर नियुक्तियों की प्रक्रिया को शुरू कराया गया है। हर परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी के दायरे में लाने की योजना के लिए सर्वे शुरू कराया गया है। इसके अलावा चुनावी वादों के तहत टैबलेट और स्मार्टफोन वितरण की प्रक्रिया शुरू की गई है।

सीएम योगी ने क्षेत्र की समस्याओं से सरकार के सीधे जुड़ने को लेकर तमाम मंत्रियों को क्षेत्र में जाकर रहने और वहां पर बात करने का जिम्मा सौंपा है। बांग्लादेश से विस्थापित 63 हिंदू परिवारों के पुनर्वास के लिए कानपुर देहात में भूमि के पट्टे का आवंटन किया गया है। दंगाइयों पर बुलडोजर वाला एक्शन लिया गया।

इसके अलावा जब नुपुर शर्मा के बयान के बाद मचे विवाद के बाद उत्तर प्रदेश का माहौल खराब करने की कोशिश की गई और 3 जून को कानपुर में बवाल हुआ और 10 जून को दंगाइयों ने प्रयागराज में बवाल काटा, तो कानपुर दंगे के मुख्य आरोपी हयात जफर हाशमी और प्रयागराज हिंसा के मुख्य आरोपी जावेद मोहम्मद पंप को घटना के तुरंत बाद गिरफ्तार किया गया।

इन मामलों में सैंकड़ों लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। जावेद मोहम्मद के घर पर बुलडोजर चल चुका है। वहीं, हयाज जफर के करीबी के घर को भी ढहा दिया गया है। इन ऐक्शन के बाद बलवाइयों को शांत करने में कामयाबी मिलती दिख रही है।

देश में मचे लाउडस्पीकर विवाद के बीच सीएम योगी आदित्यनाथ ने बड़ा फैसला लिया। उन्होंने धार्मिक स्थलों पर बजने वाले लाउडस्पीकर की आवाज को परिसर तक ही सीमित करने का आदेश जारी किया।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने अवैध ऑटो स्टैंडों को लेकर अपने दूसरे कार्यकाल के 100 दिनों के भीतर कार्रवाई का आदेश दिया। योगी ने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत से ही संदेश देने की कोशिश की है कि सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार, लापरवाही और जनहित की अनदेखी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

शुरुआत में ही जिलाधिकारी सोनभद्र और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गाजियाबाद के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई करके सरकार ने इसका संदेश भी दे दिया। जिलाधिकारी औरैया सुनील वर्मा को भी सस्पेंड कर दिया गया। इसके साथ ही पहले महीने में ही दो सौ करोड़ से ज्यादा की अवैध सम्पत्ति ध्वस्त या जब्त की गई।

विधानसभा चुनाव में बुलडोजर अभियान के कारण बुलडोजर बाबा की उपाधि पाने वाले योगी आदित्यनाथ ने दूसरे कार्यकाल में इस अभियान को जारी रखा। योगी सरकार द्वारा पहले ही महीने में सौ से अधिक अपराधियों और माफियाओं की सम्पत्ति पर बुलडोजर चलाया गया।

प्रदेश में एंटी रोमियो स्क्वॉड को दोबारा शुरू कर दिया गया है। नवरात्रि के पहले दिन से महिला सुरक्षा को लेकर विशेष अभियान चलाया जा रहा है। जनता की समस्याओं के समाधान के लिए मुख्यमंत्री आवास पर एक बार फिर जनता दर्शन की शुरुआत कराई गई है।
इसमें हर दिन सरकार के एक मंत्री की मौजूदगी होती है।

योगी सरकार बनने के बाद से लगातार नियुक्तियों पर जोर दिया जा रहा है। विभाग में नियुक्तियों को तेज करने का निर्देश दिया गया।
यूपीपीएससी की ओर से पिछले 100 दिनों में 3800 से अधिक अभ्यर्थियों का चयन हुआ है। इसमें से 3500 से अधिक को नौकरी मिली है।

योगी सरकार चुनाव के दौरान युवाओं को बेहतर अवसर उपलब्ध कराने के वादे के साथ सत्ता में पहुंची है। इस वादे को पूरा करने के लिए पिछले दिनों ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी का आयोजन किया गया। इन्वेस्टर को प्रदेश में एक बेहतर माहौल उपलब्ध कराने का संदेश देने की कोशिश हुई। उद्योगों को बढ़ाकर सरकार बेरोजगारों को रोजगार से जोड़ने की रणनीति तैयार कर रही है।

यूपी चुनाव में भाजपा की जीत में राशन योजना का बड़ा योगदान रहा। कोरोना काल में सरकार की ओर दी जाने वाली मुफ्त राशन योजना को योगी सरकार ने तीन माह के लिए बढ़ाया है। सरकार बनते ही कैबिनेट बैठक में 15 करोड़ लोगों को लाभ पहुंचाने वाली योजना का रिटर्न गिफ्ट दिया गया।

सीएम योगी ने अपने पहले कार्यकाल की तरह दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही कानून व्यवस्था को पुख्ता बनाने पर जोर दिया। एसडीएम, सीओ और तहसीलदारों को निर्देश दिया है कि अपने क्षेत्र में नागरिकों की समस्याओं के तुरंत समाधान के लिए रात में तैनाती स्थल पर ही रहें।

उत्तर प्रदेश में महिला होमगार्ड्स को एंटी टेरेरिस्ट मॉड्यूल की ट्रेनिंग देने के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिए हैं। यूपी में होमगार्डों के 20 प्रतिशत पदों पर महिलाओं की भर्ती होगी। इसकी भी प्रक्रिया शुरू की गई है।

लब्बोलुआब यह है कि योगी सरकार जिस तरह से फैसले ले रही है और सभी वर्गों को एक नजर से देख रही है, उसकी प्रशंसा योगी के विरोधी भी करने लगे हैं। कई मुस्लिम नेताओं को यूपी सरकार की तारीफ करते देखा गया है।

विपक्ष, खासकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव हमेशा योगी सरकार की खामियां ढूंढ़ते रहते हैं, लेकिन अभी तक वह किसी ऐसे मुद्दे पर योगी को नहीं घेर पाए हैं, जिस पर जनमानस उनका साथ दे।

इसीलिए कहा जा रहा है कि योगी सरकार का भविष्य अच्छा है। बहरहाल, बीजेपी और योगी को सत्ता से हटाने के लिए सपा-बसपा हो या फिर कांग्रेस, उनको तभी सफलता मिल सकती है जब वह योगी के सामने उनसे बड़ी लाइन खींच पाएं।

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