पंचतंत्र
PanchTantra-टका नहीं तो टकटका भाग-1
दूसरे नंबर पर है, राजा की चाकरी, तीसरा है खेती-बारी, चौथा है पढ़ाई लिखाई, पांचवा है ब्याज उगाही, और छठा है बनिए का धंधा। इन सभी में वाणिज्य ही एक ऐसा धंधा है जिसमें इज्जत से पैसा कमाया जा सकता है।
कारण यह कि भीख मांगने की शान अब रही ही नहीं। कहां तो पहले भीख मांगने वाले का तनिक भी अनादर हुआ, उसकी पुकार सुनते ही कोई हड़बड़ा कर भरी थाली लिए दौड़ नहीं पड़ा। तो वह या तो गाली देकर उसकी इज्जत उतारने लगता था या शाप देकर उसका लोक परलोक दोनों बिगाड़ देता था।
वह तमक कर दरवाजे से हटा नहीं कि लोग हाय-होय करते, क्षमा मांगते, उसके पीछे-पीछे दौड़ पड़ते थे और पांवों से लिपट कर क्षमा मांगना शुरू कर देते थे। जिस देश में दुर्वासा जैसे ऋषियों ने शान से तमक और बमक कर भीख मांगी उसी में माई तेरा भला हो रिरियाते हुए झोली पसारना भीख मांगने की रोबदार कला का अपमान है।
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