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लव जिहाद की Hadiya होम्योपैथी हॉस्टल में ही रहेगी
कोर्ट के सामने सवाल था कि एक बालिग युवती की इच्छा का सम्मान हो या फिर सुनियोजित ढंग से धर्मपरिवर्तन करा कर आतंकवाद के लिए तैयार किये जाने की साजिश के पिता और एनआइए की ओर से लगाए जा रहे आरोपों पर विचार हो।
असमंजस की स्थिति इस कदर थी कि एक तरफ तो कोर्ट कहता कि बालिग व्यक्ति की इच्छा महत्वपूर्ण होती है और उसकी इच्छा में कब और किस हद तक दखल दिया जा सकता है ये देखना होगा।
दूसरी ओर अदालत कहता कि संवैधानिक अदालत होने के नाते वो एक बालिग महिला को निराश्रित और ट्रैफिकिंग की स्थिति में भी नहीं छोड़ सकता। इन अनसुलझे सवालों को आगे जनवरी में विचार के लिए टालते हुए आखिर कोर्ट ने बीच का रास्ता निकाला।
अदालत में मौजूद और पति के साथ रहने की इच्छा जता रही अखिला उर्फ हदिया (Hadiya) को समझाया गया कि उसे अपने भविष्य के बारे में सोचना चाहिए और अपने पैरों पर खड़े होने के काबिल बनना चाहिए।
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