फ्लैश न्यूजसाइबर संवाद
दैoजाo ने अपने ही कोरोना योद्धा पत्रकार पंकज कुलश्रेष्ठ को एक कोने में निपटाया
50 साल के पंकज कुलश्रेष्ठ COVID-19 से मरे हैं। हमारे लिए वे भी कोरोना योद्धा हैं। यूपी सरकार को पंकज के परिवार को एक करोड़ की राशि देनी चाहिए और पत्नी को नौकरी भी। जागरण एक साधन संपन्न अखबार है। इसे भी अपनी तरफ से उचित राशि देनी चाहिए। इस पत्रकार के कई पत्रकार सरकार की वकालत करते हैं। उनसे भी निवेदन हैं कि पंकज जी के लिए सरकार से बात करें और एक करोड़ की राशि और पंकज जी की पत्नी को सरकारी नौकरी दिलवाएं। मैं सरकार से मांग कर रहा हूं। कोई विरोध नहीं कर रहा।
आगरा में और भी पत्रकार COVID-19 से संक्रमित हैं। उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूं। आगरा और मथुरा के पत्रकार और पाठक बेहद उदास होंगे। मैं समझता हूं। पंकज जी मथुरा जागरण में 8 साल ब्यूरो चीफ रहे।
जागरण को पंकज जी के निधन की खबर सिर्फ संक्षिप्त सूचना के तौर पर नहीं छापनी चाहिए थी। कम से कम उनके सभी काम के बारे में विस्तार से बताना चाहिए था। उनकी खबरों का कोलाज बनाकर एक विशेष पेज तो निकाला ही जा सकता था। ख़ैर।
मेरा तो ये कहना है कि इसी दैनिक जागरण के पत्रकार अपने इन्हीं मालिकों को आवंटित किये गये सरकारी आवास (जिसे पूर्व मुख्यमंत्री, अखिलेश यादव ने दै0जा0 से नाराज होकर) का आवंटन रद्द कर दिया था तो लखनऊ के राज्य मुख्यालय के एक वरिष्ठ पत्रकार सुबह से शाम तक राज्य सम्पत्ति अधिकारी के आगे-पीछे लगे रहते थे कि सर नौकरी का सवाल है, आवंटन बहाल कर दीजिये। भाई जिन्दा रहते और अखबार में काम करते हुए ये हाल है और इसमें काम करते हुए मरने पर ये हाल है तो बाहर ठसका काहे का?
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