भवानीपाटणा (ओडिशा)। एक समय 1980 के दशक में सूखे और भुखमरी से होने वाली मौतों के लिए कुख्यात पश्चिमी ओडिशा के कालाहांडी लोकसभा क्षेत्र की सूरत ही बदल गयी है और विभिन्न राजनीतिक दलों में इसके विकास का श्रेय लेने की होड़ मच गयी है। ऐसा लगता है कि इंद्रावती सिंचाई परियोजना और संशोधित दीर्घकालिक कार्य योजना (आरएलटीएपी) जैसी योजनाओं ने इस क्षेत्र के लिए चमत्कार किया है।
बीजू जनता दल (बीजद), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में क्षेत्र में उनके उम्मीदवार की जीत होने पर और विकास करने का वादा किया है। तीनों दलों ने इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए लोकसभा चुनाव के लिए नए चेहरे उतारे हैं कि कालाहांडी ने पिछले तीन संसदीय चुनाव में हर बार नए सांसद का चुनाव किया है।
कालाहांडी सीट से 2009 के आम चुनाव में कांग्रेस के भक्त चरण दास ने जीत दर्ज की थी जबकि बीजद के अर्क केशरी देव और भाजपा के बसंत कुमार पांडा ने क्रमश: 2014 और 2019 में जीत दर्ज की थी। बीजद ने इस सीट से इस बार लंबोदर नियाल और भाजपा ने मौजूदा सांसद के स्थान पर मालविका केशरी देव को उम्मीदवार बनाया है जो कालाहांडी के शाही परिवार की सदस्य हैं।
कांग्रेस ने आदिवासी समुदाय की सदस्य द्रौपदी माझी को प्रत्याशी बनाया है। बीजद नेता सुजीत कुमार ने दावा किया कि कालाहांडी में अब एक हवाई पट्टी, एक मेडिकल कॉलेज, एक विश्वविद्यालय और कई अन्य परियोजनाएं हैं जो उसकी स्थिति में आए बदलाव को दर्शाती हैं। कालाहांडी का पूर्ववर्ती ‘भुखमरी क्षेत्र’ अब राज्य में धान का प्रमुख उत्पादक है। यह क्षेत्र बारगढ़ के बाद राज्य की खाद्य सुरक्षा के दूसरे सबसे अधिक योगदानकर्ताओं में से एक है।
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