एनालिसिस
चीफ जस्टिस के विशेषाधिकार से ही नाराज थे चारों Justice
प्रेस के सामने आना कोई गुनाह नहीं होना चाहिए,और गुनाह होता भी नहीं है। इस देश में हर व्यक्ति न्याय पाने के लिए अपनी बात कहीं भी और विशेषतौर पर मीडिया के सामने रखने के लिए स्वतंत्र है। विशेषतौर पर मीडिया के समक्ष रखना ही उसे ज्यादा आसान दिखाई देता है।
इस देश के आम नागरिक से लेकर, विधायक, सांसद, मंत्री, मुख्यमंत्री, केन्द्रीय मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री, छोटे से अधिकारी से लेकर बड़े-बड़े ब्यूरोक्रेट्स तक, एवं विपक्षी पार्टीयों से लेकर मुख्य न्यायाधीष तक प्रेस के सामने आये ही हैं।
फिर ऐसी सूरत में ये वरिष्ठ चार Judges यदि अपनी बात की सुनवाई मुख्य न्यायाधीष द्वारा ना सुने जाने पर प्रेस के सामने आ गये तो कौन सा अपराध हो गया? अपनी ही न्यायपालिका के जज हैं अपने ही देश में अपनी ही प्रेस के सामने आ गये तो क्या हो गया? लेकिन जिस बात पर इनका जोर था कि सारे जज बराबर हैं तो फिर विरोध किस बात का?
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