एनालिसिस
चीफ जस्टिस के विशेषाधिकार से ही नाराज थे चारों Justice
लेकिन पिछले 70 सालों में एक बार भी ऐसा देखने को नहीं मिला होगा कि उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठ जज अपने मुख्य न्यायाधीष के खिलाफ प्रेस कांफ्रेंस करें और वह भी केसों के आवंटन में कथित पक्षपात को लेकर। इन चार Judges का कहना है कि कौन केस किस बेंच के पास जाएगा, यह तो मुख्य न्यायाधीष के अधिकार क्षेत्र में है।
लेकिन यह प्रक्रिया भी कुछ संस्थापित परंपराओं के अनुरूप चलाई जाती है। सामान प्रकृति के मामले सामान बेंच को जाते हैं। और यह निर्धारण, मामलों की प्रकृति के आधार पर होता है, ना कि केस के आधार पर।
कुछ विद्वानों का मत है कि अगर यह तरीका कारगर नहीं हुआ जैसा कि जजों द्वारा संकेत किया गया है तो फिर ये जज मुख्य न्यायाधीष की केस आवंटन प्रक्रिया के खिलाफ स्वयं संज्ञान लेते हुए फैसला दे सकते थे। ऐसा कोई फैसला स्वत: सार्वजनिक होता और कम से कम उससे यह ध्वनि न निकलती कि सार्वजनिक तौर पर कुछ जज मुख्य न्यायाधीष के खिलाफ सड़क पर आ गए हैैं।
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