धोखा-धड़ी
GST के नाम पर कस्टमर को लूटते रेस्टोरेन्ट ओनर्स
हाल इनके अभी भी वही हैं। कम्प्युटर पर दो तरह की एन्ट्री हो रही है। एक रेस्टोरेंट (Restaurant-Owners) वाला तो सीधे-सीधे 5 प्रतिशत टैक्स काट कर बिल दे रहा है। बताईये वह उस टैक्स को कहॉं जमा कर रहा होगा? हमारे विचार से कहीं नहीं।
सारे हलवाईयों/मिठाई बेचने वालों ने मिठाई के दाम में जीएसटी जोड़ कर मिठाई के दाम बढ़ा दिये और इनवाइस काट रहे थे। अब कह रहे हैं कि अगर इनपुट नहीं मिला तो दाम को और बढ़ा देंगे।
ये इनकी सरासर गुंडई है, जिसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। इन्हें किसी भी तरीके से इनपुट क्रेडिट नहीं दिया जाना चाहिए। इसी के साथ इनको बाध्य किया जाना चाहिए कि ग्राहक का जीएसटी नम्बर लिखकर टैक्स इनवाइस काटें।
यदि ग्राहक के पास जीएसटी नम्बर नहीं है तो ट्रेड टैक्स विभाग का जीएसटी नम्बर डालेें। यदि विभाग का जीएसटी नम्बर नहीं है तो क्रिएट किया जाये।
दस प्रतिशत तक बढ़ सकते हैं मैन्यू प्राइस
इनपुट टैक्स क्रेडिट के वापस लेने से नाराज कई रेस्टोरेंट (Restaurant-Owners) के मालिक मैन्यू प्राइस में दस प्रतिशत तक का इजाफा करने का प्लान कर रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो कस्टमर्स को जीएसटी के घटे स्लैब का फायदा नहीं मिल पाएगा।
हालांकि जबतक रोस्टोरेंट मालिक ऐसा निर्णय नहीं लेते, तब तक के लिए कस्टमर्स को इसका फायदा मिलेगा। लेकिन ये तो मात्र तसल्ली की बात है। इनके टैक्स इनवाइस प्रिन्ट निकालने वाले कम्प्यूटर जीएसटी विभाग से जुड़े होने चाहिए।
सरकार को अपना साफ्टवेयर इन्हें देना चाहिए उसी पर टैक्स इनवाइस निकाले जायें। जिसका सीधा सम्बन्ध विभाग से हो।
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