फॉरेस्ट विभाग ने किया पौधारोपण में करोड़ों का घोटाला
पौधारोपण के दौरान प्रदेश में वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने मिलकर बड़े कारनामे को अंजाम दिया है। प्रधान महालेखाकार की रिपोर्ट में पौधारोपण के लिए जमीन खोदने में मोटर साइकिल, जीप, मोपेड आदि का इस्तेमाल दिखाया गया। ये वाहन फॉरेस्ट विभाग में बैठे मुख्य वित्त अधिकारी एवं उसके स्टाफ को नहीं दिखाई दिये, तो इस पद की विभाग में जरूरत क्या है।
16 वन प्रभागों की 56 रेंजों में 220 वाहन इस तरह के पाए गए। फर्जी बिल बाउचर से 1.07 करोड रुपये के घोटाले को अंजाम दिया गया। हालाकि संबंधित मुख्य वन संरक्षकों के जवाब में कहा गया कि कार्य प्राथमिकता के आधार पर हकीकत में किया गया है। सिर्फ वाहनों के नंबर गलत दर्ज हो गए हैं। डीएफओ पर कार्रवाई के लिए शासन को पत्र लिखा गया है। ऐसे मुख्य वन संरक्षक को तो गिरफ्तार किया जाना चाहिए जो घोटाला सामने आने के बाद भी गुमराह करने की कोशिश कर रहा है।
वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक पौधारोपण के लिए स्कूटर से गड्ढे खोदने के कारनामे में 189 कर्मचारियों को चार्जशीट देने का आदेश दिया गया है। इस कृत्य में 43 क्षेत्रीय वनाधिकारी, 20 उप क्षेत्रीय वनाधिकारी, 71 वन दरोगा, एक कनिष्ठ सहायक और 54 वनरक्षक शामिल हैं। इसके अलावा 17 डीएफओ के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई के लिए शासन को पत्र भेजा गया है।
बता दें कि सरकार ने इस बार पौधारोपण के मामले में रिकॉर्ड बनाया है। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है। इसी पौधारोपण कार्यक्रम के दौरान वन विभाग के कर्मचारियों के इस तरह के कृत्य की बात सामने आई थी, जिसमें पौधे लगाने के लिए गड्ढा खोदे जाने में इस तरह के वाहनों का इस्तेमाल किया गया था। इसकी जांच कराई गई और जांच में सामने आया कि जिन वाहनों के नंबर दर्ज हैं वे मोटर साइकिल, स्कूटर और मोपेड के नंबर हैं। क्या गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया ये प्रमाण जांच के घेरे में नहीं आयेगा? तब प्रदेश सरकार की क्या इज्जत बनेगी।
बड़े स्तर पर इन कर्मचारियों को जिम्मेदार मानते हुए वन विभाग की तरफ से सभी पर कार्रवाई के लिए शासन को पत्र भेज दिया गया है। अब शासन इन कर्मचारियों पर नियमों के मुताबिक एक्शन लेगा।