इंडीजिनस कोविड-19 टेस्टकिट की जनक बनीं महिला वायरोलॉजिस्ट मिनाल दखवे भोसले
“हमारी मैन्यूफैक्चरिंग इकाई अगले बैच को सोमवार से मार्केट में भेजना शुरू कर देगी ऐसा कहना है माईलैब (Mylab) के निदेशक डॉ गौतम वानखेड़े का।
इसी के साथ अब मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक कम्पनी, जो एचआईवी और हेपेटाइटिस—बी और सी एवं अन्य बीमारियों के लिए परीक्षण किट बनाती है, का कहना है कि यह वह एक सप्ताह में एक लाख परीक्षण किटों की आपूर्ति कर सकती है और अधिक डिमान्ड पर दो लाख किटों का निर्माण कर सकती है।
ऐसे समय में कम्पनी की इस बात को इस सन्दर्भ में देखा जाना चाहिए कि वह भारतीय प्रयास एवं उसकी सफलता को नजदअन्दाज कराना चाहती है। उसके द्वारा ज्यादा संख्या में परीक्षण किटों की सप्लाई करने मात्र से ही भारत की समस्या का निदान नहीं हो सकता।
इसी के साथ क्या वह कोरोनावायरस के 100 नमूनों का परीक्षण करने की किट मात्र 1200 रूपये में दे सकती है, यदि नहीं तो उसकी किट की खरीद पर विचार करने का कोई औचित्य नहीं।
माईलैब (Mylab) की एक किट 100 नमूनों का परीक्षण कर सकती है और इसकी कीमत 1,200 रुपये ($16) है और यह लगभग 4,500 रुपये का एक चौथाई हिस्सा है।
माईलैब (Mylab) के रिसर्च एंड डेवलपमेंट की प्रमुख महिला वायरोलॉजिस्ट (virologist) मिनाल दखवे भोसले का कहना है कि “हमारी किट ढ़ाई घंटे में निदान देती है जबकि आयातित परीक्षण किटों को छह से सात घंटे लगते हैं। इसी के साथ सबसे बड़ी बात यह है कि यदि हम एक ही सैम्पल के दस विभिन्न टेस्ट करते हैं तो उन दसों टेस्ट एकसमान आते हैं। इसलिए हमारी किट एकदम परफैक्ट है।