पंचतंत्र
कान भरने की कला-कहानी की कहानी पंचतन्त्र-7
जिन्हें सुन और देख कर वे स्वंय हैरान रह जाएं। कुछ समय तक अपने गुणों की तालिकाओं को बार-बार सुनते रहने के बाद वे यह मानने को तैयार हो जाते हैं, कि अपने को गुणों, कवि और विद्वान कहने वाले गुणी और मानी इसलिए हैं, कि उन्होंने राजा के उन गुणों को पहचान लिया जिन्हें वह स्वंय पहचान नहीं पाया था।
इसे छोड़ उनमें दूसरा कोई गुण होता ही नहीं है। यदि हो तो किसी राजा के लिए उसका कोई मतलब नहीं है।अपने लड़कों को बिगाडऩे और ऊधमी बनाने में काफी दूर तक उनके पिता अमरशक्ति का भी हाथ था।
पहली बात तो यह कि वह इतना गुणी मान लिया गया था कि उसके नाम की छाया में सूरज की किरण तक प्रवेश नहीं कर सकती थी।
यह तो एक नियम है ही कि खरों के लड़के खोटे और बड़ों के लड़के छोटे होते हैं। इसी तरह खोटों के लड़के खरे और छोटों के लड़के बड़े निकलते हैं। बरगद के नीचे की घास सूख जाती है और काई के ऊपर बीट में से भी बरगद निकल आता है।……………….इससे आगे भाग-8 में पढ़िए
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