धोखा-धड़ी
एक और ज्वैलर्स ने SBI को लगाया 1000 करोड़ का चूना
अभी तक एफआईआर भी दर्ज ना होना क्या संकेत देता है। और ऐसा भी नहीं है कि एफआईआर दर्ज होने से वो वापस आ जायेंगे। जो बैंकें पचास हजार का लोन देने के लिए उस साधारण से व्यक्ति की सारी सम्पत्ति गिरवी रखवा लेती हैं। इन लुटेरों को कैसे लोन अथवा लिमिट दे देती हैं?
SBI ने 5 अप्रैल 2017 को कंपनी के खिलाफ ऑडिट शुरू किया था। प्रमोटर्स से इस दौरान संपर्क करने की कोशिश की गई। लेकिन, उनसे संपर्क नहीं हो सका। 25 मई 2017 को बैंक के रहजन कनिष्क के कॉरपोरेट ऑफिस में पहुंचे, लेकिन ऑफिस, फैक्ट्री और शोरूम में कामकाज पूरी तरह बंद था।
उसी दिन कंपनी प्रमोटर भूपेश कुमार जैन ने बैंकर्स को चिट्ठी लिखकर यह बात कबूल की थी कि उसने रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़ और स्टॉक्स को हटाया है। वहीं, कंपनी के दूसरे शोरूम भी बंद हो चुके हैं। और सच मानिए ये सब बैंक की मिलीभगत से ही हुआ है।
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