एनालिसिस

चीफ जस्टिस के विशेषाधिकार से ही नाराज थे चारों Justice

मुख्य न्यायाधीष ने भी अबतक निभाई जा रही मान्य परम्पराओं का निर्वहन करते हुए अपना अधिकार समझते हुए निर्णय लिए, इससे तो इंकार नहीं किया जा सकता है। क्योंकि कौन सा केस किस बेंच को जायेगा, ये विशेषाधिकार तो मुख्य न्यायाधीष के पास ही सुरक्षित है।

अब यदि उन प्रशासनिक निर्णयों से उच्चतम न्यायालय के ये चार जज सहमत नहीं हैं तो, सर्वमान्य प्रक्रिया का प्रतिपादन हो सकता है। इसे परिवार में हुए मन-मुटाव के अलावा अन्य किसी भी तरीके से नहीं देखा जाना चाहिए। मैं तो अपनी छोटी सी बुद्धि के बल पर यही कहूंगा कि ये कोई ऐसा मसला नहीं कि इसका हल ना निकले। हो सकता है ये चारों जज ही विरोध पर अपनी गलती मान लें और चुप बैठ जायें।

वैसे होना यही चाहिए कि इन चारों Judges को चुपचाप बैठ जाना चाहिए क्योंकि उनकी मांग मुख्य न्यायाधीष को मिले अधिकारों पर उंगली उठाना ही तो है?

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