पंचतंत्र
PanchTantra-टका नहीं तो टकटका
याचक जब धनी आदमी की तारीफ करते हैं तो लगता है दुनिया की कोई ऐसी विद्या कोई ऐसा कौशल, कोई ऐसी कला, कोई ऐसा पौरूष है ही नहीं जो धनी व्यक्ति में न हो।
इस दुनिया में जिसके पास दौलत है पराए भी उसके सगे बन जाते हैं। पर दरिद्रों के अपने लोग भी उनसे मुंह फेर लेते हैं, या उन्हें दुरदुराने लगते हैं।
धन दौलत के खूब बढ़ जाने के बाद आदमी के जो काम जहां हैं वहीं उसी तरह सधते चले जाते हैं। जैसे पहाड़ो की ऊंचाई या संपन्नता के कारण जलधाराएं अपने आप फूट निकलती हैं।
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