पंचतंत्र
PanchTantra-टका नहीं तो टकटका
एक रात वह चारपाई पर लेटा हुआ था। वह सोचने लगा कि संतोष बुरी बला है। आदमी मालामाल हो तो भी उसे और अधिक धन कमाने की जुगत में रहना चाहिए और कोई जुगत जंच जाए तो उसे आजमा कर देखना चाहिए।
वह सोच रहा था कि दुनिया में ऐसा कुछ भी नहीं है जो पैसे से मुट्ठी में न किया जा सके। इसलिए समझदार आदमी को जैसे भी हो अधिक से अधिक धन कमाना चाहिए। पैसा कैसे आता है इस पर सोचना तक नहीं चाहिए। जिसके पास पैसा है उसके पास ही मित्र होते हैं, उसी के रिश्तेदार-नातेदार होते हैं।
उसी को पुरुषार्थी कहा जाता है और उसे ही विद्वान माना जाता है।
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