Maratha Aarakshan पर कैबिनेट का टाइमपास
Maratha Aarakshan के मुद्दे पर महाराष्ट्र सरकार द्वारा बनाई गई कैबिनेट की उप-समिति को शिवसेना ने महज एक ‘‘टाइम पास’’ बतायाl
और जानना चाहा कि राज्य में कई रोड शो के बावजूद इस समुदाय को आखिर न्याय क्यों नहीं मिल पाया है।
मराठा समुदाय के लाखों लोगों ने नौकरी एवं शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की मांग करते हुए नौ अगस्त को मुंबई में 58वां एवं अंतिम ‘मूक मोर्चा’ आयोजित किया था।
देवेन्द्र फडणवीस ने उसी दिन राज्य विधानसभा में घोषणा की थी कि सरकार वर्तमान में ओबीसी को दी जा रही शैक्षिक रियायतें इस समुदाय को देगी।
उन्होंने यह भी कहा था कि सरकार मंत्रिमंडल की एक उप-समिति का गठन करेगीl
जो समुदाय के लिए विभिन्न योजनाओं के कार्यान्वयन की निगरानी करेगी।
तत्पश्चात Maratha Aarakshan पर पांच सदस्यीय उप समिति की घोषणा की गई।
पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहाl
‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष शिंजो आबे ने अहमदाबाद में एक भव्य रोड शो किया।
ऐसे रोड शो के अपने ही फायदें हैं।
उन्होंने दावा किया, ‘‘हालांकि मराठा समुदाय ने भी कई रोड शो, मोर्चे और प्रदर्शन किएl
Maratha Aarakshan पर उनका कोई परिणाम नहीं निकला।’’
पार्टी ने कहा कि मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस, मोदी के बुलेट ट्रेन के सपने को पूरा करने के लिए राज्य के खजाने से 30,000 करोड़ रुपए देने को तैयार हो गएl
लेकिन कथित रूप से Maratha Aarakshan पर समय बर्बाद करने के लिए कैबिनेट उप-समिति बनाने की कांग्रेस की नीति अपनाई।
उसने सवाल किया कि क्या समिति के लिए कोई समय-सीमा हैl
और उसके अधिकार क्या है? शिवसेना ने कहा, ‘‘ऐसा कहा गया कि समिति महाराष्ट्र के राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
और साथ हीं हर तीन महीने में मराठा समुदाय के साथ चर्चा करेगी।
अगर हर तीन माह में चर्चा की जाएगी तो आखिर कब तक यह ‘टाइमपास’ चलेगा?’’
राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल के नेतृत्व वाली इस उप-समिति में शिवसेना के दिवाकर रावते और एकनाथ शिंदेl