विविध

ओ ‘Indians’ अमरीका छोड़ो

प्रथम किश्त

अंग्रेजों, भारत छोड़ो की तर्ज पर आजकल अमेरिका में भी भारतवंसियों (Indians) के लिए यही तराना गूँज रहा है। ताज्जुब की बात यह है कि ये भारतवंशी ना तो वहां के शासक हैं, और ना ही अमेरिकियों पर कोई जुल्म कर रहे हैं, जिससे आहत होकर अमेरिकियों को एसा करना पड़ रहा हो। अपनी बुद्धि, अपने कौशल, अपनी लगातार मेहनत करने की प्रवृत्ति (जिसका प्रदर्शन वे हिन्दुस्तान में नहीं करते) के बल पर ही वे अमेरिका/विदेश में ल्यूक्रेटिव नौकरी पाते हैं। प्रतिस्पर्धा में अमेरिकियों को पछाड़ कर ही सीईओ जैसे पद को प्राप्त कर पाते हैं। और ऐसा उन्होंने स्वंय से नहीं किया है।
O Indians quit america
O Indians quit america

अमरीका छोड़ो

उन्हें अच्छे/सम्मान जनक पदों पर अमेरिकियों ने ही पद-स्थापित किया है, फिर आज ऐसी स्थिति क्यों पैदा की जा रही है कि नस्लभेदी टिप्पड़ियों ने इन भारतीयों को नवाजने के साथ ‘अमेरिका छोड़ो का नारा ही नहीं दिया जा रहा है, बल्कि कई भारतीयों को तो बेवजह गोली मार दी गई। इन सब कृत्यों के मूल में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की विदेशी भगाओ नीति भी है, जिसके बल पर अमेरिकन, अमेरिका में बसे भारतीयों का उत्पीडऩ कर रहे हैं, मानवधिकारों का पोषक अमेरिका केवल अमेरिकियों पर होने वाले उत्पीडऩ को ही मानवधिकारों  के हनन को तवज्जो देता है, जब वह स्वंय में किसी भारतीय, अथवा अन्य विदेशी मूल के लोगों के साथ उत्पीडऩ करता है तो मानवाधिकारों का हनन कोई मुद्दा नहीं रह जाता है।
O Indians quit america
O Indians quit america
ताजा मसला जी0एम0एम0 नॉन स्टिक कोटिंग्स कम्पनी के संस्थापक और सीईओ रवीन गांधी के सीएनबीसी में प्रकाशित एक आलेख के  बाद शुरू हुआ है, जिसके बाद ट्रम्प के समर्थकों ने भरपूर नस्ली टिप्पणीयां करना शुरू कर दिया। दरअसल रवीन गांधी ने अपने लेख में लिखा है कि वर्जीनिया में हुई नस्ली हिंसा के बाद ट्रम्प ने अपने बयान में श्वेत श्रेष्ठतावादियों का बचाव किया है, इसलिए वे ट्रम्प के आर्थिक एजेंडे का समर्थन नहीं करेंगे। भले ही बेरोजगारी एक प्रतिशत रह जाये अथवा जीडीपी सात प्रतिशत बढ़ जाये। लेकिन वे ऐसे राष्ट्रपति का समर्थन नहीं करेंगे जो नस्ली भेदभाव को बढ़ावा देता हो और वह उन अमेरिकियों से नफरत करे जो उन जैसे नहीं दिखते हैं।
O Indians quit america
O Indians quit america
यहां पर मैं, रवीन गांधी के स्टेटमेंट /आलेख से सहमत नहीं हूं। रवीन गांधी को समझना होगा कि वे भारत में नहीं हैं, अमेरिका में हैं। भले ही अमेरिका  ने उन्हें अमेरिकी नागरिक मान लिया हो, लेकिन हैं वे अमेरिका की सौतेली औलाद? उन्होंने आपको अमेरिकी इसलिए तो नहीं बनाया कि आप वहीं रहें, वहीं खायें, वहीं मौज करें और उसी देश के अमेरिकी राष्ट्रपति की नीतियों पर तल्ख़ टिप्पणी करें। ऐसा रवीन गांधी ने इसलिए किया कि वे भूल गये कि वे भारत में नहीं अमेरिका में हैं। भारत में तो एक टुच्चे लेवल का व्यक्ति भारत के सर्वशक्तिमान प्रधानमंत्री पर ऐसी बेहुदा ओद्दी और हद दर्जे की गन्दी टिप्पणी कर देता है कि-यदि वह व्यक्ति अमेरिका में हो तो सूट कर दिया जाये, लेकिन भारत में वह लीडर हो जाता हैं, उसके साथ हजारों फिरका परस्तों की भीड़ खड़ी हो जाती हैं।
O Indians quit america
O Indians quit america

अमरीका छोड़ो

इसीलिए रवीन गांधी जी, भले ही आप अमेरिका के लिए फायदे की चीज़ हों, लेकिन ये अधिकार आपको कागजी रूप से मिले अधिकारों में शामिल नहीं हैं। आपको अथवा किसी भी गैर अमेरिकी लोगों को अमेरिका ने ये अधिकार ना तो दिया ना ही देंगे कि आप जैसे लोग, वहां के राष्ट्रपति की नीतियों की इस तरह से भर्तस्ना करें। आप अपनी तुलना उन अमेरिकियों से नहीं कर सकते, जो आप पर नस्ली टिप्पणीयां कर रहे हैं, क्योंकि उनमें देश भक्ति है, और ऐसे राष्ट्रीय करेक्टर की छवि, किसी भी उन भारतीयों में नहीं है, जो विदेश में जा बसे हैं, और अपनी और केवल अपनी मौज-मस्ती और अपने परिवार की जिन्दगी का ही भला सोचते है।

सतीश प्रधान

राज्‍यों से जुड़ी हर खबर और देश-दुनिया की ताजा खबरें पढ़ने के लिए नार्थ इंडिया स्टेट्समैन से जुड़े। साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप को डाउनलोड करें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Back to top button

sbobet

https://www.baberuthofpalatka.com/

Power of Ninja

Power of Ninja

Mental Slot

Mental Slot