खबर है कि सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री की संस्था नैस्कॉम वीजा संबंधी मुद्दों को लेकर अमेरिकी सांसदों और प्रशासन के सामने अपनी चिंता प्रकट कर चुका है और अगले कुछ हफ्तों में प्रस्तावित कानून पर भी बातचीत कर सकता है। लेकिन इससे कुछ हल निकलने वाला नहीं है, क्योंकि कौन सा व्यक्ति चाहेगा कि उसके घरवालों को खाने को ना मिले और पड़ोसी/बाहरवाला उसके घर में घुसकर मजे से खाये। आखिरकार अमेरिका पर पहला हक तो उन्हीं अमेरिकन्स का है, जिनके लिए ऐसा बिल लाना पड़ा है।
यदि आप बहुत टेलेन्टेड हैं तो, जब किसी देश को दिखाई देगा कि आपके बिना उनका काम नहीं चल रहा है, तो वह आपको बुलायेगा। तब आप भी अपनी कीमत और शर्तों पर वहॉं जाईयेगा। अभी तो अपनी शर्तों पर वहॉं अपनी सेवा थोड़े ही दे पा रहे हैं।
एक जैसे पद पर ही, एक पर भारतीय और दूसरे पर अमेरिकन कार्य कर रहे हैं, तो आपकी सेलरी और फ्रिन्ज बेनीफिट एक से नहीं हैं। भारतीय उन अमेरिकन्स से कई गुना नीचे का वेतन पाते हैं।
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