उत्तराखंडएडीटोरियलफ्लैश न्यूजसाइबर संवाद
प्रशासन की जिद यहां हैलीपैड बनाने की
फोटो में जो मैदान है यह एकमात्र रह गया है ।
जोशीमठ में बच्चों-युवाओं के खेलने, व्यायाम करने ,छोटे-बड़े सभा कार्यक्रम करने के लिए यह एकमात्र बड़ा सार्वजनिक स्थान जोशीमठ में है। यह भूमि गांव वालों से किसी समय विष्णुप्रयाग जल विद्युत परियोजना के लिए उत्तरप्रदेश सरकार के सिंचाई विभाग ने अधिग्रहित की।
80 के दशक में परियोजना का कार्य बंद हो गया। 1996 – 97 में यह जल विद्युत परियोजना उत्तरप्रदेश सरकार ने जयप्रकाश कम्पनी को 30 साल की लीज पर दे दी। इसके साथ ही इस परियोजना से जुड़ी सम्पत्तियां भी जय प्रकाश कम्पनी को मिल गयीं। जय प्रकाश कम्पनी ने यहां पर लोहे के प्लेट मोड़कर सुरंग के पाईप निर्माण की कार्यशाला (workshop) बनाई।
इस कार्यशाला में ध्वनि प्रदूषण होने लगा। यहां से गन्दा केमिकल पानी भी गांव वालों के खेतों में जाता था। बगल में गांव आबादी है। इसको लेकर हम लोगों ने आंदोलन किया। जय प्रकाश कम्पनी का यहां काम बंद कर दिया गया। इसके बाद कम्पनी और हमारा समझौता हुआ।
जिसमें कुछ अन्य कार्य के अतिरिक्त हमने यह मांग रखी कि कम्पनी का यह प्लेट वाला कार्य पूरा होने के बाद यह भूमि जोशीमठ के लिए स्टेडियम निर्माण हेतु खाली कर दी जाय दे दी जाय। तब जय प्रकाश कम्पनी ने इस पर सहमति दी।
किन्तु जब कम्पनी का कार्य पूरा हो गया तब तक उत्तराखण्ड बन चुका था। ऊत्तराखण्ड सरकार ने भूमि खाली होते ही बगैर जनता से पूछे भूमि पिटकुल ( पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन ऑफ ऊत्तराखण्ड ) को दे दी। जनता के दबाब के बाद ऊत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री की घोषणा पर यहां स्टेडियम निर्माण की प्रक्रिया प्रारंभ हुई। जिसके लिए टोकन मनी लगभग 38 लाख भी जारी हुआ। जिस पैंसे से मैदान पर कुछ कार्य भी किया गया।
किन्तु फिर कुछ समय बाद इस मैदान में हैलीपैड निर्माण की सुगबुगाहट होने लगी। जिसका जनता द्वारा विरोध किया गया। लेकिन कुछ लोग लगातार इस भूमि को हैलीपैड निर्माण के लिए दबाब बनाए रहे। भाजपा की वर्तमान सरकार भी इसी मन्तव्य की रही। जबकि जन दबाब में इसी सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री ने भी स्टेडियम निर्माण की घोषणा की थी।
कुछ दिन पहले सरकार की तरफ से इस भूमि पर हैलीपैड निर्माण के आदेश हो गए हैं। जनता की भावनाओं के विपरीत केवल कुछ निजी उड्डयन कम्पनियों के हितों को ध्यान में रखते हुए यह किया जा रहा है। जबकि जोशीमठ में पहले से ही सेना का हैलीपैड मौजूद है। इसके अलावा जयप्रकाश कम्पनी का हैलीपैड उपलब्ध है। जोशीमठ से कुछ दूरी पर अन्य हैलीपैड हैं। बावजूद इसके सरकार प्रशासन की जिद यहां हैलीपैड बनाने की है।
खेल शारीरिक विकास के लिए बच्चों को अतिरिक्त सुविधा देने के बजाय उपलब्ध सुविधा को भी हड़प लेना यह कहां का न्याय है। यह कौन सा विकास है किसका विकास है ? पूरे जोशीमठ ब्लाक की 50 हजार से अधिक आबादी के लिए यह एकमात्र स्थान है जहां कोई बड़े सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित किये जा सकते हैं। उसे भी छीना जा रहा है। जबकि यह जनता की ही भूमि औने-पौने दाम में छीनी गयी।
स्टेडिम का उपयोग तो आपदा के समय हैलीपैड की तरह किया जा सकता है किंतु हैलीपैड बनने पर वहां जनता की आवाजाही सम्भव नहीं। यह सेना के हैलीपैड में हमने अपने सामने होते देखा है। जहां बचपन में हम जाया करते खेलते थे आज वह प्रतिबंधित क्षेत्र है, जबकि वह भी हमारी गांव वालों की ही भूमि थी।
इस एक मात्र खेल मैदान को निजी हैली कम्पनियों की लालची निगाहों से बचाना जरूरी है। जोशीमठ की जनता की एकजुटता से यह सम्भव है।
अतुल सती जोशीमठ की फेसबुक वॉल से साभार
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