*अब TV पर हर तीसरा प्रचार Baba Ramdev के पतंजलि का है। तो क्या इससे यह अर्थ लगाया जाए कि आप भी अर्थतंत्र की एक बड़ी मछली के रूप में सामानों को महंगे दामों पर बेचेंगे या बेच रहे हैं?
*जो चूंर्ण 2015 में 40 रूo का था।वही चूंर्ण 2016 में 85 रूo का कैसे हो गया?
100% से भी ज्यादा की बढ़ोतरी ..? क्या जायज है?
*मई 2016 में जिस बादाम रोगन का दाम 110 रुपये था। ऐसा क्या हुआ कि वह मात्र 9 माह बाद मार्च 2017 में 150 रूपये का हो गया। यानी 36% कि बढ़ोत्तरी। यह मूल्य वर्धन की पराकाष्ठा है या त्रासदी। मुझे आपसे यह उम्मीद नहीं थी। ऐसे ही 2 माह पहले बेसन का दाम राजधानी बेसन से 15 रुपये सस्ता था और आज 15 रुपये महंगा हो गया है।
*अब मुझे ऐसा लगने लगा है कि Baba Ramdev के उत्पाद की न्यूरोमार्केटिंग से बाहर आकर मुझे सोचना पड़ेगा। क्यों कि आप जनता को बेवकूफ बनाने क्या ठगने लगे हैं। भावना और देशभक्ति के दिन लग गये।……?*
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