अधिकमास रवि प्रदोष व्रत से होती है सभी मनोकामनाएं पूरी
13 अगस्त को अधिकमास रवि प्रदोष व्रत है। इस दिन श्रावन मास में भगवान शिव की उपासना का विशेष महत्व है। श्रावन मास में प्रदोष व्रत करने से महादेव का आशीर्वाद साधक पर बना रहता है, तो आइए हम आपको अधिकमास रवि प्रदोष व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं।
अधिकमास रवि प्रदोष व्रत पर ऐसे करें पूजा
सावन अधिक मास के प्रदोष व्रत वाले दिन प्रातः काल जल्दी उठें और स्नान आदि करके पूजा के लिए साफ वस्त्र पहन लें। पूजा घर में दीपक जलाएं और व्रत का संकल्प लें। फिर पूरे दिन व्रत रखते हुए प्रदोष काल में शिव जी की पूजा और उपासना करें। शाम के समय प्रदोष काल में पूजा के दौरान दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल मिलाकर पंचामृत से शिवलिंग का जलाभिषेक करें। भांग, धतूरा, बेलपत्र फूल और नैवेद्य शिवलिंग पर अर्पित करें। इसके बाद भगवान शिव की प्रतिमा के पास धूप-दीप जला कर प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें या सुनें। अंत में शिवजी की आरती करके पूजा समाप्त करें।
अधिकमास सावन रवि प्रदोष व्रत का शुभ
पंडितों के अनुसार श्रावण अधिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का शुभारंभ 13 अगस्त सुबह 08 बजकर 19 मिनट से होगा और 14 अगस्त सुबह 10 बजकर 25 मिनट पर यह तिथि समाप्त हो जाएगी। प्रदोष काल में महादेव की पूजा के कारण यह व्रत 13 अगस्त 2023, रविवार के दिन रखा जाएगा। इस दिन प्रदोष काल संध्या 07 बजकर 03 मिनट से रात्रि 09 बजकर 12 मिनट तक रहेगा। इस शुभ अवसर पर दो अत्यंत शुभ योग का निर्माण हो रहा है, जिसमें की गई पूजा-पाठ से साधकों को विशेष लाभ मिलेगा। इस दिन सिद्धि योग रहेगा, जो शाम 04 बजे से शुरू होगा। साथ ही इस दिन पुनर्वसु नक्षत्र का निर्माण होगा जो सुबह 08 बजकर 26 मिनट से पूर्ण रात्रि तक रहेगा।
अधिकमास सावन रवि प्रदोष का महत्व
हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत को शुभ माना जाता है। सप्ताह के विभिन्न दिनों पर पड़ने वाले प्रदोष व्रत भांति-भांति के फल देते हैं। रविवार को पड़ने वाले प्रदोष को रवि प्रदोष की संज्ञा दी जाती है। मनुष्य के जीवन में रवि प्रदोष का खास महत्व है। रवि प्रदोष व्रत करने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और वह दीर्घायु तथा सुखी जीवन व्यतीत करता है। इसके अलावा उसे परिवार के लिए यह व्रत कल्याणकारी होता है। सोमवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को करने से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। मंगलवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को करने से रोगों से छुटकारा मिलता है। बुधवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को करने से सभी तरह की कामना की सिद्धि होती है। बृहस्पतिवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को करने से शत्रु का नाश होता है। शुक्रवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को करने से सौभाग्य की बढ़ोत्तरी होती है तथा शनिवार को प्रदोष व्रत करने से पुत्र की प्राप्ति होती है।
अधिकमास सावन रवि प्रदोष से जुड़ी पौराणिक कथा भी है रोचक
रवि प्रदोष से जुड़ी एक कथा प्रचलित है। उस कथा के अनुसार एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण अपनी पत्नी और पुत्र के साथ रहता था। एक बार वह गंगा स्नान के लिए जा रहा था तभी लुटेरे उसे मिल गए उन्होंने उसे पकड़ लिया और पूछा कि तुम्हारे पिता ने गुप्त धन कहां छुपा रखा है। इससे बालक डरकर बोला कि वह बहुत गरीब है उसके पास कोई धन नहीं है ।
तब लुटेरों ने उसे छोड़ दिया। वह घर वापस आने लगा कि तभी थकने के कारण पेड़ के नीचे सो गया और राजा के सिपाहियों ने उसे लुटेरा समझ कर पकड़ लिया और जेल में डाल दिया। इधर गरीब ब्राह्मणी ने दूसरे दिन प्रदोष का व्रत किया और शिव जी से अपनी बालक की वापसी की प्रार्थना करते हुए पूजा की। शिव जी ब्राह्मणी की प्रार्थना से प्रसन्न होकर राजा को सपने में बताया कि वह बाल जिसे तुमने पकड़ा है वह निर्दोष है उसे छोड़ दो। दूसरे दिन राजा ने बालक के माता-पिता को बुलाकर न केवल बालक को छोड़ दिया बल्कि उनकी दरिद्रता दूर करने के लिए उन्हें पांच गांव भी दान में दे दिए। इस तरह प्रदोष व्रत के प्रभाव से न केवल ब्राह्मण का बेटा मिला बल्कि उनकी गरीबी भी दूर हो गयी।
अधिकमास सावन रवि प्रदोष व्रत के उपाय
रवि प्रदोष व्रत का संबंध सीधा सूर्य से होता है। इस व्रत को करने से चंद्रमा के साथ सूर्य भी आपके जीवन में सक्रिय रहता है। चंद्र और सूर्य की शुभता के कारण ग्रहों के दुष्प्रभाव में कमी आती है। अपयश को मिटाने के लिए इस दिन सुबह सूर्य देव को जल में लाल चंदन मिलाकर अर्घ्य दें। कुंडली में सूर्य को मजबूत करने से व्यक्ति को कार्यस्थल पर तरक्की और उच्च पद प्राप्त होता है। इसके लिए रवि प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर एक मुठ्ठी गेहूं अर्पित करें। इससे नौकरी में उन्नति मिलेगी। आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं तो इस दिन घर में मीठा पकवान बनाकर किसी नेत्रहीन व्यक्ति को खिलाएं। पूर्व दिशा की ओर मुख करके आदित्य ह्दय स्तोत्र का पाठ करें। इससे आरोग्य के साथ लंबी आयु का वरदान मिलेगा।