सिंदूर के सरल और प्रभावी उपाय जिन्हें करते ही दूर होती हैं सारी मुश्किलें
सनातन परंपरा में सिंदूर को शुभता और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। ईश्वर की पूजा से लेकर सुहाग की लंबी उम्र के लिए सिंदूर का प्रयोग किया जाता है। जिस तरह सिंदूर के बगैर किसी सुहागन महिला का श्रृंगार अधूरा माना जाता है। ठीक उसी प्रकार से कुछ देवी-देवताओं की पूजा अधूरी मानी जाती है।
सिंदूर के बगैर संकटमोचक हनुमान जी, ऋद्धि-सिद्धि के दाता गणपति और सभी कष्टों को दूर करने वाले देवी दुर्गा की पूजा अधूरी मानी जाती है। आइए सुख-समृद्धि और सौभाग्य से जुड़े सिंदूर के सरल और प्रभावी उपाय के बारे में जानते है।
हनुमत उपासना में सिंदूर का विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है। हनुमान जी को मंगलवार और शनिवार के दिन पूजा करते समय सिंदूर चढ़ाने पर जीवन से जुड़ी सभी बाधाएं दूर होती है और सुख–समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
गणपति की पूजा बगैर सिंदूर के अधूरी मानी जाती है. ऋद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश जी की पूजा में सिंदूर चढ़ाने से गणपति शीघ्र प्रसन्न होकर अपने साधक की सभी बाधाओं को दूर करके सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते है।
मान्यता है कि यदि घर के मुख्य द्वार पर तेल से भीगे हुए सिंदूर से स्वास्तिक या अन्य शुभ चिन्ह बना दिये जाएं तो उसके शुभ प्रभाव से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास बना रहता है और नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश नहीं होता है। तेल और सिंदूर से जुड़े इस उपाय से घर से जुड़े तमाम प्रकार के वास्तु दोष दूर होते है।
हिंदू धर्म में ईश्वर का प्रसाद माने जाने वाले तिलक का बहुत शुभ प्रभाव होता है। मान्यता है कि तमाम देवी-देवताओं का अर्पित किए जाने वाले सिंदूर का तिलक लगाने से तमाम तरह की समस्याएं दूर और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
दांपत्य सुख की प्राप्ति के लिए सुहागिन महिलाओं को प्रात:काल स्नान के समय बाल धोने के बाद माता गौरी को सिंदूर चढ़ाना चाहिए और फिर उसी सिंदूर को प्रसाद स्वरूप अपनी मांग में लगाना चाहिए। मान्यता है कि सिंदूर के इस उपाय से वैवाहिक जीवन खुशियों से भरा रहता है। गौरतलब है कि छठ के महापर्व पर भी महिलाएं सुख-सौभाग्य की कामना लिए छठी मैया की पूजा करते समय अपनी नाक से लेकर मांग तक लंबा सिंदूर लगाती है।