लखनऊ विश्वविद्यालय में शैव दर्शन और तंत्रागम पर होगा शोध
लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय के अभिनव गुप्त संस्थान में शैव दर्शन और तंत्रागम पर शोध कराया जाएगा। दावा है कि यह देश के उन चुनिंदा संस्थानों में होगा। जहां इन पर शोध कराया जाता है। अभिनव गुप्त संस्थान के निदेशक प्रोफेसर बीके शुक्ला ने बताया कि करीब 4 से 5 सीटें हैं। जिन पर अगले सत्र से दाखिले लिए जाएंगे।
लखनऊ विश्वविद्यालय के अभिनव गुप्त संस्थान के निर्माण का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। आगामी 23 मार्च को इसके उद्घाटन की तैयारी है। प्रस्तावित कार्यक्रम के तहत उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा इसका उद्घाटन करेंगे।
जिस भवन में इस संस्थान की शुरुआत की जा रही है। उसका निर्माण पूर्व कुलपति प्रोफेसर एसपी सिंह के कार्यकाल में शुरू किया गया था। शासन से मिली करीब 2.96 करोड़ रुपये के अनुदान से निर्माण कार्य शुरू हुआ है। इस भवन में करीब 12 कमरे, 2 बड़े हॉल व एक लाइब्रेरी बन कर तैयार हैं। इसके अलावा तीसरी मंजिल पर एक सेमिनार हॉल और बनाया जाना प्रस्तावित है।
पदमश्री प्रो. बीके शुक्ला ने बताया कि ये अभिनव गुप्त संस्थान 5 अगस्त 1968 में स्थापित हुआ था। स्थापना उस समय के संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष व प्रोफेसर डॉ. कांतिचंद्र पांडेय ने की थी। शिलान्यास 21 दिसंबर 1968 में मौजूदा कुलपति डॉ. मुकुन्द बिहारी लाल ने किया था।