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Minor Wife से जबरन सम्बन्ध रेप माना जायेगा
भारत की सर्वोच्च अदालत ने उस मुद्दे पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जो आजतक बन्द कमरे की हकीकत हुआ करती थी। जिसे बाहर आने से जबरन रोका जाता था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 18 वर्ष से कम उम्र की पत्नी यानि Minor Wife के साथ शारीरिक सम्बन्ध मामले में पति को रेप से छूट देने वाला प्राविधान, मनमाना और बच्चियों के अधिकार का उल्लंघन है।
रेप के खिलाफ कानून में आईपीसी की धारा—375 (2) के में व्यवस्था है कि 15 से 18 साल की पत्नी यानि Minor Wife के साथ सम्बन्ध बनाने में पति के खिलाफ रेप का केस दर्ज नहीं होगा। जस्टिस मदन बी0 लोकूर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने अपने 127 पेज के फैसले में एक मत से आईपीसी की धारा-375 (2) को परिभाषित करते हुए कहा है-कि अगर कोई अपनी Wife के साथ सम्बन्ध बनाता है, तो 18 साल से कम उम्र की पत्नी यानि Minor Wife के साथ जबरन सम्बन्ध रेप होगा।
बलात्कार जैसी अमानवीय कृत्य की खबरें अक्सर आती हैं। जिस पर आंदोलन, वाद-विवाद, मुक़दमे, इत्यादि गतिविधियाँ समाज के भीतर होती रहती हैं। बात जब विवाह में होने वाले बलात्कार की होती है, तो समाज उससे कन्नी काटने लगता है। यह कहते हुए की ऐसा असंभव है। क्योंकि पति-पत्नी का सम्बन्ध तो आपसी सहमति से बनता है। आज इस फैसले ने हमारे मस्तिष्क की तरंग को इस बात पर दौड़ने के लिए मजबूर कर दिया।
जहाँ हम यह सोचने पर मजबूर हों कि सच में “वैवाहिक बलात्कार, एक सच्चाई हैl एक सामाजिक बुराई है। जिसका खात्मा अत्यंत आवश्यक है। नहीं तो यह सिर्फ एक स्त्री का ही नहीं अपितू यह एक बालिका का शोषण होगा। बल्कि विवाह नामक संस्था से लोगों का विश्वास भी उठ जायेगा, जिसका अंतिम दुष्परिणाम होगा, धर्म का नाश और समाज का विघटन।
क्योंकि यह एक बच्ची के शरीर की पवित्रता का उल्लंघन करता है। इस फैसले से अब यदि कोई नाबालिग पत्नी यानि Minor Wife दुष्कर्म की शिकायत एक साल के भीतर करती है तो पति पर रेप का मुकदमा चलेगा। कोर्ट ने यह भी कहा है कि यह फैसला आने वाले मामलों मे लागू होगा। दोनों जजों ने अलग-अलग फैसला लिखा है। उनका कहना है कि पोक्सो एक्ट के तहत देखा जाये तो कानून में एकात्मकता नहीं है, बल्कि विरोधाभास है।
क्या है पोक्सो एक्ट?
पोक्सो कानून 18 साल से कम उम्र के तमाम बच्चों की सुरक्षा मुहैय्या कराता है। पोक्सो एक्ट के तहत 18 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ कोई सम्बन्ध बनाता है तो 7 साल से लेकर उम्रकैद की सजा का प्राविधान है। बच्चे के संवेदनशील शारीरिक अंगों को छूने पर 3 से लेकर 5 साल तक कैद की सजा का प्राविधान है।
क्या है बाल विवाह निरोधक कानून?
बाल विवाह निरोधक कानून में प्राविधान है कि 18 साल से कम उम्र में लड़की की शादी नहीं हो सकती।
क्या है हिन्दू मैरिज एक्ट?
हिन्दू मैरिज एक्ट में प्राविधान है कि 18 साल से कम उम्र की लड़की की शादी हो सकती है और ये शादी अमान्य नहीं है। ये शादी तभी अमान्य हो सकती है, जब लड़की—लड़का बालिग होने के बाद ऐसा करना चाहें।
अन्त में “समान महिला नागरिक सहिंता “की पहल करने वाली सुप्रीम कोर्ट से आगे यही उम्मीद है की ट्रिपल तलाक़, नाबालिग वैवाहिक बलात्कार, पर रोक के बाद महिला की सुरक्षा, समता और सम्मान हेतु हलाला आदि प्रथाओं पर भी जल्द से जल्द कदम उठाये ताकि नए भारत का स्वप्न सच हो सके। जहाँ कोई महिला विरोधी प्रथा नहीं चलेगी क्योंकि यदि औरत न रही तो मर्द भी नहीं रहेगा, क्योंकि उसका अस्तित्व ही उसी से है।
अब नाबालिग लड़की की जबर्दस्ती शादी के बाद रेप जैसे केस दर्ज हुए तो समाज में खुद-ब-खुद चेतना आएगी और समाज में बदलाव होगा। लोग बाल विवाह से बचेंगे और सामाजिक बदलाव आयेगा।
अभी मैरीटल रेप का मामला अभी हाई कोर्ट में पेंडिंग:
नाबालिग पत्नी के साथ सम्बन्ध के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया है। जबकि मैरीटल रेप का मामला अभी दिल्ली हाई कोर्ट में पेंडिंग है। 18 साल से ऊपर की पत्नी के साथ जबरन सम्बन्ध का मामला अभी जूडिशियल स्क्रूटनी में है।
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