विविध

कोरोना का आयुर्वेद इलाज

4. अभ्रक भस्म (शतपुटी) शहद या मलाई या दुध में मिलाकर तीन वक्त दें, खाली पेट। अभ्रक भस्म की मात्रा 1 ग्राम के आसपास होनी चाहिए। उसके लेने के दो घंटे बाद मरीज को एक गिलास दूध दें। ऐसा दिन में तीन बार करें। मरीज को और कुछ ना दें। लगातार पांच दिन यही प्रक्रिया चलनी चाहिए। हां, मरीज गर्म पानी पी सकता है।

5. काला बांसा को जलाकर उसकी राख शहद में मिलाकर दें। और दो घंटे बाद गाय का दूध दें एक गिलास गर्म। दिन में तीन बार ऐसा करें। लगातार पांच दिन यही करें। दूध वैसे तो कफवर्धक है परन्तु गाय या बकरी के दूध में कफनाशक चीजें मिलाकर खाने से इसकी प्रवृत्ति बदल जाती है। भैंस का दूध ज्यादा कफवर्धक होता है बजाय की गाय या बकरी के दूथ के।

इसके अलावा कुछ अन्य उपचार नीचे हैः

1. अन्य कफनाशक चीजों का सेवन। हां अनुपान रुप में सिर्फ गाय का गरम दूध ही लें।

2. जहां मरीज हो उस कमरे का तापमान 45-50 डिग्री तक रखें। उसे लगातार पसीना आएगा और उसका कफ जलना शुरु हो जाएगा। ये कोरोना के विकास के लिए विषम परिस्थिति का निर्माण करता है। भारत देश के लिए खुशखबरी ये है कि यहां गर्मी है, और पारा 40 से ऊपर ही है, जिससे इस वायरस को फैलने में स्वयं रुकावट हो जाएगी।

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