
दीपदान आज, पितरों को करेंगे याद…मेले में पहुंचे 20 लाख से अधिक श्रद्धालु
कार्तिक पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर तिगरी गंगा मेले में गंगा घाटों पर श्रद्धालु गुरुवार को पूर्वजों की याद में दीपदान करेंगे। वे अपने पर्वजों की आत्म की शांति के लिए कामना करेंगे। साथ ही गंगा में स्नान कर पुण्य का लाभ अर्जित करेंगे।
पंड़ितों के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा पर मुख्य स्नान की पूर्व संध्या पर दीपदान की पंरपरा है। गुरुवार शाम सूर्यास्त के समय दीपदान होगा। श्रद्धालु गंगाघाट पहुंचकर पितरों का तर्पण करेंगे। लोग पितरों के तर्पण के लिए सुबह सूर्योदय से पहले जूड़ी लेकर उसे पीपल के पेड़ के नीचे स्थापित करते हैं। इसके बाद लोटे में सादाजल लेकर उसमें गंगाजल, दूध बूरा, जौ और काले तिल मिलाते हैं। फिर कुशा की जूड़ी पर 108 बार जल अर्पित कर ओम पितृ देवतायै नम: मंत्र का उच्चारण करें। इसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
उधर, मेले में 20 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंच गए हैं। कार्तिक पूर्णिमा का मुख्य गंगा स्नान शुक्रवार तड़के होगा। इसके लिए गुरुवार को भी लोग तिगरीधाम पहुंचे। बताया गया कि सूर्यास्त के समय गंगा घाट पर स्नान कर गंगा में दीपदान कर पितरों का तर्पण किया जाएगा। पंडित गंगासरण शर्मा ने बताया कि मान्यता है कि महाभारत युद्ध में जान गंवाने वाले हजारों सैनिक और असंख्य योद्धाओं की आत्मा शांति के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों की मौजूदगी में सर्वप्रथम चतुर्दशी को दीपदान किया था। तभी से यह परंपरा चल रही है।
तभी से लोग कार्तिक पूर्णिमा पर तिगरी धाम में लगने वाले ऐतिहासिक मेले के दौरान मुख्य स्नान से एक दिन चतुर्दशी पर अपने पितरों का तर्पण करते हैं। यह दीपदान वही लोग करते हैं, जिनके सगे संबंधी एक वर्ष के अंदर उन्हें छोड़कर परम पिता परमेश्वर की शरण में चले गए हैं। उन्होंने बताया कि गंगा में स्नान करने के बाद सूर्यास्त के समय दीपदान करें। इसके बाद भी गंगा में स्नान करें। साथ ही खाना और दक्षिणा दान करें। कार्तिक मेले के दौरान गंगा में दीपदान करने मृत आत्माओं को शांति मिलती है।
मेले में हुक्का गुड़गुड़ा कर समय बिता रहे किसान
तिगरी गंगा मेले में जाट चौक स्थित किसान चौपाल पर किसान हुक्का गुड़गुड़ा कर समय बिता रहे हैं। सेक्टर 14 के चौक पर स्थित किसान चौपाल पर सुबह-शाम गुड़ से बनी चाय, उपलों पर पकाई गई खिचड़ी, पकौड़ी, मूंगफली व अन्य व्यंजन सुबह-शाम मेले में पारंपरिक वेशभूषा में किसान चौपाल पर हुक्का गुड़गुड़ाते श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।