इसके लिए यह अत्यंत ही जरूरी है कि केन्द्र और राज्य सरकारें मिलकर काम करें। ये कमोबेश कर भी रही हैं। इस संकटकाल में हमें सिर्फ अपना खुद का पीठ ठोंकने और दूसरों की शिकायतें करने की मानसिकता को छोड़ना ही होगा।
दिल्ली में कोरोना को लेकर स्थिति बिगड़ने के लिए तबलीगी जमात की गैर-जिम्मेदाराना करतूतों और फिर प्रवासी मजदूरों के सड़कों पर आ जाने को भी काफी हद तक जिम्मेदार तो माना ही जाएगा। तबलीगी जमात के गैर-जिम्मेदार लोगों ने सच में शुरू से ही दिल्ली को संकट में डाल दिया था। उन दोषियो पर कठोर कार्रवाई तो होनी ही चाहिए। इस बीच, अब आगे के बारे में भी सोचना होगा। उसी हिसाब से रणनीति तय करनी होगी ताकि कोरोना वायरस को शिकस्त दे दी जाए।
अगर बात मुंबई की करें तो भारत की आर्थिक प्रगति का रास्ता तो यहां से ही निकलता है। मुंबई स्टाक एक्सेंज में लिस्टिड लगभग 70 फीसद कंपनियों के मुख्य कार्यालय मुंबई में ही हैं। देश के चोटी के उद्योगपति भी मुंबई में ही रहते हैं। जब मैं मुंबई की बात करता हूं, तो मेरा आशय कहीं ना कहीं महाराष्ट्र से भी तो होता है।
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