उत्तर प्रदेश विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानमंडल का बजट सत्र समाप्त हो गया है। इसके साथ ही विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई है। इस बार राज्य सरकार की तरफ से 7 लाख 36 हजार 437 करोड 71 लाख रुपये (7,36,437.71 करोड़ रुपये) का ऐतिहासिक बजट पेश किया गया। बजट पर चर्चा में दोनों सदनों के नेताओं ने अपनी बात रखी। भाजपा और सहयोगी दलों ने बजट को देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था में भागीदार बताया है। जबकि विपक्ष इस बजट को आम आदमी के लिए छलावा करार दिया है।
बता दें कि बीते गुरुवार को विधानमंडल के संयुक्त सत्र में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने दोनों सदनों को संबोधित किया। सदन में उनके पहुंचते ही जहां जय श्री राम के नारे लगे तो वहीं विपक्ष ने भी हंगामा शुरू कर दिया। सदन में भारतीय जनता पार्टी के विधायक मानवेंद्र सिंह और समाजवादी पार्टी के विधायक एसपी यादव के निधन पर शोक जताया गया।
आंकड़ों में उलझाती है सरकार
समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को विधानसभा में प्रदेश सरकार द्वारा पेश किए गए बजट पर चर्चा करते हुए कहा कि जो लोग कहते हैं कि वे राम को लेकर आए हैं, वे भगवान श्रीराम का अपमान करते हैं और ऐसा कहकर आप धर्म और भगवान राम का अपमान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम का अपमान बंद कर देना चाहिए।
सपा प्रमुख ने कहा, ”उप्र की सरकार हमें आंकड़ों में उलझाती है। सीधी सीधी यह बात बतायें कि इस बजट से महंगाई से कितनी राहत मिलेगी। इस बजट में कितने युवाओं को रोजगार मिलेगा? अपराध और भ्रष्टाचार कम करने के उपायों पर कितना खर्च दिया जायेगा। मंदी और जीएसटी की मार झेल रहे काम, कारोबार और दुकानदारी को बढ़ावा देने के लिए क्या प्रावधान हैं? क्या इस बजट में किसान की बोरी की चोरी रूकेगी या नहीं। फसल का सही दाम या किसानों की आय दोगुनी होगी या नहीं?”
नेता विरोधी दल पर किए करारे प्रहार
सीएम योगी ने नेता विरोधी दल अखिलेश यादव पर एक के बाद एक करारे प्रहार किए। इसके लिए उन्होंने रहीम और तुलसीदास जी के दोहों का सहारा लिया। उन्होंने कहा कि जब ये सत्ता में थे, तब इनकी अपनी प्राथमिकताएं थीं और उन्हीं को लेकर तुलसी दास जी ने कहा है, ‘सकल पदारथ ऐही जग माहीं, करमहीन नर पावत नाहीं…इन्हीं के लिए कहा है, इसी कर्महीनता और अकर्मण्यता के लिए कहा है। इनकी प्राथमिकता विकास नहीं था, किसान नहीं था, युवा नहीं था, महिलाएं नहीं थी, गरीब नहीं था। इससे पूर्व सीएम योगी ने अपने संबोधन की शुरुआत में कहा कि लगा था कि बजट भाषण में जब किसानों की बात आएगी तो नेता विरोधी दल अवश्य चौधरी साहब का स्मरण करेंगे,लेकिन ‘बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय, रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय।’
ये स्थिति आज उनकी हो चुकी है। कोई साथ में आने को तैयार ही नहीं है। सबको मालूम है कि पता नहीं कहां किसको धोखा दे दें। इसके बाद सीएम योगी ने तुलसीदास के दोहे का जिक्र करते हुए कहा कि प्रभु श्रीराम भरत जी से कहते हैं कि ‘बरसत हरषत लोग सब करषत लखै न कोई, तुलसी प्रजा सुभाग ते भूप भानु सो होई।’ इन पंक्तियों का अर्थ समझाते हुए उन्होंने बताया कि जैसे सूर्य, समुद्र, नदी, तालाब से पानी लेता है, लेकिन किसी को पता नहीं चलता परंतु जब वह बादल के रूप में बरसते हैं तो सबको पता चलता है। यही स्थिति इस लोककल्याणकारी और लोकमंगल बजट की भी है। यह बजट बिना भेदभाव के सभी 75 जनपदों को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है। आज उत्तर प्रदेश बीमारू नहीं, रेवेन्यू सर प्लस स्टेट है। यह 7 वर्ष में बिना कोई टैक्स लगाए हुए हुआ है। मंडी शुल्क को आधा किया गया है। प्रदेश में डीजल पेट्रोल की दर देश में सबसे कम है। इसके पीछे रामराज्य की ही अवधारणा है। नेता विरोधी दल को इन सारी चीजों से चिढ़ थी।